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उपलब्धियों में पापा का हाथ, मेरे लिए छोड़ दी नौकरी

पापा की वजह ने न केवल बैडमिटन खेलना शुरू की बल्कि देश में नंबर-वन खिलाड़ी होने का गौरव भी हासिल किया। अगर पापा का सहयोग नहीं मिलता तो शायद ये उपलब्धियां हासिल नहीं कर पाती। मेरे लिए पापा ने अपनी जॉब तक को दांव पर लगा दिया। उपकार पापा के रूप में भगवान ने मुझे दुनिया का सबसे बड़ा उपहार दिया है। यह कहना है कि 13 वर्षीय बैडमिटन खिलाड़ी उन्नति हुड्डा है जो देश में नंबर-वन का रैंक हासिल कर चुकी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 07:00 AM (IST)
उपलब्धियों में पापा का हाथ, मेरे लिए छोड़ दी नौकरी
उपलब्धियों में पापा का हाथ, मेरे लिए छोड़ दी नौकरी

केस मोबिन, रोहतक :

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पापा की वजह ने न केवल बैडमिटन खेलना शुरू की बल्कि देश में नंबर-वन खिलाड़ी होने का गौरव भी हासिल किया। अगर पापा का सहयोग नहीं मिलता तो शायद ये उपलब्धियां हासिल नहीं कर पाती। मेरे लिए पापा ने अपनी जॉब तक को दांव पर लगा दिया। पापा के रूप में भगवान ने मुझे दुनिया का सबसे बड़ा उपहार दिया है। यह कहना है 13 वर्षीय बैडमिटन खिलाड़ी उन्नति हुड्डा का, जो देश में नंबर-वन का रैंक हासिल कर चुकी हैं।

रोहतक की भरत कालोनी निवासी उन्नति ने बताया कि बचपन से ही उसे बैडमिटन खेलने का शौक था। घर में पापा डा. उपकार हुड्डा ने रैकेट लाकर दिए। इतना ही नहीं साथ खेलना भी शुरू किया। छह साल की थीं, तो प्रैक्टिस करवाने के लिए छोटूराम स्टेडियम में ले जाना शुरू कर दिया। वहां पर सरकारी बैडमिटन कोच प्रवेश कुमार ने बारीकियां सिखाने का काम किया। उन्नति का कहना है कि पापा रोजाना सुबह पांच बजे नींद से जगा देते हैं। इसके बाद सीधे छोटूराम स्टेडियम में बैडमिटन हॉल में ले जाते हैं। आंधी-बारिश टल सकती हैं, लेकिन पापा उन्हें स्टेडियम में ले जाना नहीं भूलते। सुबह के अलावा शाम को भी प्रैक्टिस के लिए पापा ही साथ आते हैं। उनके खेल के लि पापा ने छोड़ दी नौकरी

उन्नति हुड्डा ने बताया कि उसे प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए देश के विभिन्न राज्यों में जाना पड़ता है। वह अकेली अन्य राज्यों में जा नहीं सकती। इसके लिए पापा ने अपनी जॉब छोड़ दी और वह वहीं उनको अन्य राज्यों में रैंकिग प्रतियोगिताओं में ले जाते हैं। पापा कालेज में पढ़ाते थे। लेकिन प्रैक्टिस के दौरान कई बार घर नहीं पहुंच पाते थे। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर उनके खेल पर पूरा ध्यान दे दिया है। जो आदर्श, उसी के हाथों में मिला सम्मान

उन्नति हुड्डा ने बताया कि पीवी सिधु, जिसे खेलते देख बैडमिटन का रैकेट पकड़ना सीखा। उसे ही अपना आदर्श बनाया। लेकिन उसे काफी खुशी का अहसास हुआ, जब पीवी सिधु के हाथों से ही सम्मान भी मिला। दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आल इंडिया जूनियर बैडमिटन चैंपियनशिप की अंडर-11 कैटेगरी में गोल्ड हासिल किया था। जहां ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिधु के हाथों से ही सम्मानित किया गया। उन्नति के नाम दर्ज उपलब्धियां

- बिहार के भागलपुर में महिला वर्ग सिगल में आल इंडिया अंडर-13 में गोल्ड मेडल

- हैदराबाद में आल इंडिया सब जूनियर रैंकिग महिला सिगल अंडर-13 में गोल्ड मेडल

- गुवाहाटी में आल इंडिया रैंकिग मिक्सड डबल अंडर-15 में गोल्ड मेडल

- स्टेट में अंडर-13, अंडर-15 में सिगल व डबल में गोल्ड मेडल


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