E sanjeevani app से होगा दांतों का इलाज, PGI रोहतक में जल्द होगी ऑनलाइन परामर्श सुविधा
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ई-संजीवनी एप जारी किया है। इस पर चिकित्सीय परामर्श मरीजों को दिया जाएगा। एप पर मोबाइल नंबर पंजीकरण के साथ अन्य जानकारी देनी होगी।
रोहतक [पुनीत शर्मा]। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंस (पीजीआइडीएस) में शारीरिक दूरी का ध्यान रखने और चिकित्सकों व स्टाफ को कोविड से बचाने के लिए जल्द ही ऑनलाइन परामर्श की सुविधा की जाएगी। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Health and Family Welfare) की ओर से जारी किए गए ई संजीवनी एप (E sanjeevani app) पर मरीजों को अपना फोन नंबर रजिस्टर्ड करते हुए चिकित्सकों से परामर्श लेना होगा। इसके बाद चिकित्सक ऑनलाइन ही मरीज को दवा देंगे। मरीज अस्पताल में आसानी से दवा ले सकेंगे।
कोविड महामारी के कारण इन दिनों अस्पताल में ओपीडी (eSanjeevaniOPD) की सेवाएं मरीजों की संख्या निर्धारण के साथ की जा रहीं हैं। इस दौरान चिकित्सकों व स्टाफ को लगातार कोविड संक्रमण का खतरा बना रहता है। जिसका समाधान निकालने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ई संजीवनी नामक मोबाइल एप्लीकेशन जारी किया था। अब इस एप्लीकेशन के माध्यम से ही प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ डेंटल कालेज पीजीआइडीएस में मरीजों का उपचार किया जाएगा। इसके लिए मरीजों को अपने फोन में एप्लीकेशन डाउनलोड करने के बाद मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड करना होगा।
इसके बाद जहां उपचार के लिए जाना है उक्त कालेज या अस्पताल को चुनते हुए संबंधित चिकित्सक के नाम पर क्लिक पर अपनी समस्या दर्ज करानी होगी। ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट के बाद चिकित्सकों को यदि एक्सरे व अन्य जांच करानी होंगी तो इसके लिए ऑनलाइन ही परामर्श दिया जाएगा। रिपोर्ट भी ऑनलाइन पोर्टल पर ही अपलोड की जाएगी। इसके बाद मरीज को अस्पताल से आसानी से दवाई उपलब्ध कराते हुए उसे घर भेज दिया जाएगा। अभी डेंटल कालेज में इस एप्लीकेशन के माध्यम से मरीजों का उपचार करने के लिए तैयारियां की जा रही हैं।
जल्द ही मरीजों का उपचार शुरू किया जाएगा
डेंटल कालेज के प्राचार्य डॉ. संजीव तिवारी का कहना है कि ई संजीवनी एप के माध्यम से मरीजों का उपचार जल्द शुरू किया जाएगा। इसके लिए तैयारी की जा रही है। जल्द ही मरीजों का उपचार शुरू किया जाएगा। इससे चिकित्सक व अन्य स्टाफ को मरीजों के प्रत्यक्ष संपर्क में आने की आवश्यकता न के बराबर होगी।