भक्ति से होता है जीवन सफल : गोपाल कृष्ण
जागरण संवाददाता रोहतक इस्कान प्रचार समिति की ओर से आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत
जागरण संवाददाता, रोहतक :
इस्कान प्रचार समिति की ओर से आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन आइटीआइ मैदान में कथा सुनने श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भागवत कथा के मुख्य अतिथि रजिस्ट्रार आंबेडकर विधि विश्वविद्यालय, राई सोनीपत से मदन गोयल, मुख्य यजमान समाजसेवी दिल्ली से मनमोहन एरण, भंडाराकर्ता रेणु भारद्वाज पत्नी सुभाष भारद्वाज, समाजसेवी सुरेश तायल, समाजसेवी सुरेंद्र बल्ली ने परिवार सहित भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष दीप प्रज्वलित कर श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया।
भागवत कथा में गोपाल कृष्ण गोस्वामी ने सैकड़ों संख्या में आए श्रद्धालुओं को बताया प्रहलाद भगवान विष्णु के अन्नय भक्त थे। उनके पिता हिरण्य कश्यप त्रिलोकी के राजा थे जिन्हें ब्रह्मा के द्वारा दिन न रात, अंदर न बाहर, ऊपर न नीचे, अस्त्र-शस्त्र से न मरने का वरदान था। जिससे वह अपने आप को भगवान मानता था। लोग भगवान मानकर पूजने लगे। लेकिन उनका ही पुत्र प्रहलाद जो भगवान विष्णु का भक्त था। भक्त प्रहलाद ने अपनी मां के गर्भ में ही देवऋषि नारद के मुख से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया था। जिससे कारण वे बचपन से ही भगवान विष्णु के भक्त हो गए। जब पिता को पता चला उसका अपना ही पुत्र शत्रु भगवान विष्णु का भक्त है तो बड़ा क्रोधित हुआ। अपने पुत्र को समझाने लगा की वह स्वयं भगवान है। लेकिन प्रहलाद ने अपने पिता की बात को मानने से इंकार कर दिया। भगवान आप नहीं भगवान तो केवल विष्णु हैं। यह सुनकर पिता क्रोधित हो गया और प्रहलाद को मारने के प्रयास करने लगा। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद को कोई प्रभाव नहीं पड़ा। तब हिरण्य कश्यप घबरा गया और सोचने लगा पुत्र के रूप में मेरा काल आ गया है। तब उसने पुत्र से पूछा तू किस की शक्ति से मेरा सामना कर रहा है तो भक्त प्रहलाद ने कहा जिसके बल पर आप बोल रहे हैं। वहीं मेरी शक्ति का स्त्रोत है बस फर्क इतना है कि आप भगवान विष्णु की सत्ता को स्वीकार नहीं करते और मैं उन्हें स्वीकार करता हूं। यह सुनकर बोला तेरा विष्णु कहां-कहां है तो भक्त प्रहलाद ने कहा सभी जगह जहां आप देखो। तो पिता बोला खंबे में भी विष्णु हैं क्या तो भक्त ने कहा हां यह सुनकर हिरण्य कश्यप खंबे पर प्रहार करने लगा तो भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप प्रकट किया। और हिरण्य कश्यप का वध कर प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा की। भागवत कथा में गोपाल कृष्ण ने बताया कि भक्ति से होता है जीवन सफल। असत्य का हमेशा विनाश होता है।
प्रवचन सुनते हुए संगीतमय श्रीकृष्ण भगवान की महाआरती की गई और अंत में भंडारा लगा कर श्रृद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। संस्था के सदस्यों ने सभी अतिथियों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर मुख्य संरक्षक राजेश जैन, प्रधान सुभाष तायल, जगदीश बालंदिया, योगेश अरोड़ा, रमेश, कुलदीप, जय भगवान, शंकर लाल, पवन, मोनू, गोल्डी, अजेश, राजीव, सन्नी, शीतल, पियूष, राजेश, विनोद, उमा, आशा, गीता, सतीश, आदि मौजूद रहे।