किसानों को आर्थिक तौर पर किया तबाह, अब शारीरिक चोट पहुंचा रही सरकार : दीपेंद्र हुड्डा
जागरण संवाददाता रोहतक राज्यसभा सदस्य एवं कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने क
जागरण संवाददाता, रोहतक : राज्यसभा सदस्य एवं कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि तीन कृषि कानून लागू कर सरकार ने पहले किसानों को आर्थिक रूप से तबाह किया। अब किसान इसके विरोध में अपनी आवाज उठाना चाहते हैं तो उनको शारीरिक चोट पहुंचाई जा रही है। उन्होंने कहा कि क्या दिल्ली पर किसानों का हक नहीं है? नये कृषि कानूनों से हरियाणा और पंजाब के किसानों को सबसे ज्यादा चोट लगेगी। सरकार किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने की बजाय नमक छिड़कने का काम कर रही है। सरकार रात को दिन दिखाने की कोशिश कर रही है। वे वीरवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आजादी से पहले एमएसपी की कोई व्यवस्था नहीं थी। एमएसपी का सबसे पहले प्रस्ताव 1948 में संविधान सभा में चौ. रणबीर सिंह ने रखा। उसके बाद धीरे- धीरे एमएसपी का कानून बना और उसमें फसलें जोड़ी गई। लेकिन भाजपा सरकार ने तीन नए कृषि कानून बनाकर एमएसपी सिस्टम पर सबसे बड़ा प्रहार कर दिया है। अहंकार में डूबी ये सरकार लोगों के फैसले को नहीं मान रही, किसानों की जायज मांगों को नहीं मान रही और लोकतंत्र में शांतिप्रिय तरीके से अपनी बात रखने के अधिकार को भी छीनने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि अपनी जायज मांगों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन और दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर सत्ता व पुलिसिया जोर की आजमाइश कतई बर्दाश्त करने लायक नहीं है। कोरोना का हवाला देकर किसान पर बंदिशें लगाने वाली सरकार खुद ठंड व महामारी के मौसम मे अन्नदाता पर वाटर कैनन से पानी की बौछारें कर रही है, आंसू गैस के गोले दाग रही है। ये निर्दयता है। लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन कर रहे किसानों के रास्ते को हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार पत्थर क्या पहाड़ रखकर भी नहीं रोक पाएगी। उन्होंने नये कृषि कानूनों को रद करने की गारंटी वाला कानून बनाने की मांग की। साथ ये प्रावधान भी हो कि एमएसपी से कम में कोई खरीद होने पर जुर्माने के साथ सजा हो। क्योंकि बिना एमएसपी की गारंटी दिए किसी भी कानून का कोई औचित्य नहीं है।