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धर्म संसद में सर्वसम्मति से लिया निर्णय, 12 को मनाई जाएगी जन्माष्टमी

रोहतक जिले में 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। गोकर्ण डेरे में हुई धर्म संसद में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 09:25 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 09:25 AM (IST)
धर्म संसद में सर्वसम्मति से लिया निर्णय, 12 को मनाई जाएगी जन्माष्टमी
धर्म संसद में सर्वसम्मति से लिया निर्णय, 12 को मनाई जाएगी जन्माष्टमी

जागरण संवाददाता, रोहतक : जिले में 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। गोकर्ण डेरे में हुई धर्म संसद में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया। इसी के साथ जन्माष्टमी को मनाने की तिथि के लेकर चल रहे भ्रम की स्थिति भी खत्म हुई। महामंडलेश्वर स्वामी कपिलपुरी की अध्यक्षता में गोकर्ण धाम में हुई बैठक हुई। उन्होंने कहा कि सिद्धांतों के अनुसार ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी। सभी ने गहन मंथन करके यह निर्णय लिया है।

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दुर्गा भवन मंदिर के पुजारी आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि सूर्याेदय कालीन अष्टमी को नवमी युक्ता में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर्व मनाया जाता है। वर्ष 2019 में यही सिद्धांत लागू हुआ था। 24 अगस्त 2019 को सूर्योदय कालीन अष्टमी नवमी युक्ता में ही जन्माष्टमी पर्व मनाया गया था। इसी के अनुसार 3 सितंबर 2018 को जन्माष्टमी मनाई गई। माता मंदिर के पुजारी कमल ने कहा कि भक्तों को भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। पूरे देश में 12 अगस्त को ही एक साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

पंडित विष्णु प्रसाद शर्मा ने कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान मथुरा पर ही 12 अगस्त को त्योहार मनाया जा रहा है, तो नई प्रथा तैयार करने की जरूरत नहीं। इस मौके पर पंडित हेमंत शर्मा, पंडित रवि पाठक, विजय पंडित, पंडित संदीप पाठक, पंडित सचिन शर्मा, आचार्य देव कृष्ण रौनक, आचार्य जय प्रकाश, अनुराग शास्त्री, अरुण मिश्रा, दीपक शर्मा, कमल नयन मिश्रा, ऋषि राम शर्मा, रवि मिश्रा, दीपक शास्त्री, काकू शर्मा, सन्नी शर्मा आदि मौजूद रहे।

विक्रम संवत पत्रिका का किया जाएगा प्रकाशन

महामंडलेश्वर कपिलपुरी ने कहा कि भगवान के कार्य में सभी सर्वसम्मत हैं। आगे भ्रम की स्थित उत्पन्न न हो इसके लिए जिले के बड़े मंदिरों के पुजारी, धर्माचार्य और अन्य गणमान्य लोगों की मदद से एक विक्रम संवत पत्रिका का प्रकाशन सुनिश्चित किया जाएगा। जिसमें सभी त्योहार, व्रत एवं अन्य धार्मिक क्रियाओं की सही तिथि प्रकाशित की जाएगी। इसके लिए जल्द ही विद्वानों की जिम्मेदारी लगा दी जाएगी।


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