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डा. बिजेंद्र ढिल्लों के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट ने लगाई रोक

जागरण संवाददाता रोहतक पीजीआइ के प्रशासनिक विभाग के विभागाध्यक्ष डा. बिजेंद्र ढिल्लों को को

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 06:54 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 06:54 PM (IST)
डा. बिजेंद्र ढिल्लों के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट ने लगाई रोक
डा. बिजेंद्र ढिल्लों के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट ने लगाई रोक

जागरण संवाददाता, रोहतक : पीजीआइ के प्रशासनिक विभाग के विभागाध्यक्ष डा. बिजेंद्र ढिल्लों को कोर्ट ने राहत दी है। खाली मृत्यु प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने और एक कर्मचारी से अवधि से अधिक कार्य कराने के मामले में डा. ढिल्लो के खिलाफ दायर चार्जशीट पर कोर्ट ने रोक लगाने के आदेश दिए हैं। पूरे प्रकरण में डा. ढिल्लो द्वारा स्वास्थ्य मंत्री, अपर मुख्य सचिव मेडिकल एजुकेशन, हेल्थ विवि के वीसी समेत कुल दस अधिकारियों को कोर्ट में पार्टी बनाया था। पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के हॉस्पिटल एवं प्रशासनिक विभाग के विभागाध्यक्ष डा. बिजेंद्र ढिल्लो को खाली जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद पीजीआइ प्रबंधन ने इसकी जांच कराई थी। जांच में दोषी पाए जाने पर पीजीआइ प्रबंधन द्वारा डा. ढिल्लो के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। चार्जशीट के खिलाफ डा. ढिल्लो ने कोर्ट की शरण ली थी। बुधवार को कोर्ट में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश रितू ने कहा कि एक व्यक्ति को किसी भी हाल में एक गलती के लिए दो बार सजा नहीं दी जा सकती है। उन्होंने डा. ढिल्लो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए चार्जशीट पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। डा. ढिल्लो द्वारा कोर्ट में याचिका दायर करते हुए स्वास्थ्य मंत्री अनिज विज, अतिरिक्त मुख्य सचिव मेडिकल एजुकेशन, पंडित बीडी शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विवि के रजिस्ट्रार, वीसी डा. ओपी कालरा, निदेशक, तत्कालीन निदेशक डा. राकेश गुप्ता, एसीएस मेडिकल एजुकेशन धनपत सिंह, बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डा. आरबी सिंह (रिटायर्ड) व रिटायर्ड जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी भसीन को पार्टी बनाया था। डा. ढिल्लो के अधिवक्ता गुंजन महता ने बताया कि कोर्ट में दो राउंड पर दायर चार्जशीट पर स्टे के आदेश दिए हैं। एक राउंड पर खाली जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करके रखने और दूसरा कंप्यूटर ऑपरेटर से समयावधि से अधिक कार्य कराने के मामले में कोर्ट ने फैसला दिया है।

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