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जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है : प्रो. मित्तल

जागरण संवाददाता, रोहतक : जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है। जिससे निपटने के लिए प्राकृतिक

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 06:05 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 06:05 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है : प्रो. मित्तल
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है : प्रो. मित्तल

जागरण संवाददाता, रोहतक : जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है। जिससे निपटने के लिए प्राकृतिक संसासधों का नियंत्रित उपयोग, पुन:उपयोग एवं पुनर्नवीनीकरण करना आधुनिक समय की जरूरत है। यह विचार शुक्रवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के इनवायरमेंटल ससटनीबिलीटी मैनेजमेंट सैल (ईएसएम) द्वारा- ग्लोबल क्लाइमेट चेंज: कंसर्नस एंड सोल्यूशन्ज विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में उभर कर सामने आए।

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भारतीय मौसम विभाग के सहयोग से आयोजित इस राष्ट्रीय सेमिनार में चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय, भिवानी के कुलपति प्रो. आरके मित्तल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। प्रो. मित्तल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक दोहन और सामाजिक एवं आर्थिक असमानता से जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ती जा रही है। प्राकृतिक संसाधानों के अत्याधिक दोहन का सीधा असर हवा, जमीन और पानी की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। प्रो. मित्तल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन नियंत्रण के लिए पूरे विश्व को सामूहिक प्रयास करने होंगे।

एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर ¨सह ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. राजबीर ¨सह ने जलवायु परिवर्तन बारे विश्व स्तर पर जागरूकता फैलाने की जरूरत पर बल देने की बात कही। खासतौर पर जल संरक्षण और ऊर्जा की बचत बारे लोगों को जागरूक बनाने का आह्वान कुलपति प्रो. राजबीर ¨सह ने किया। उन्होंने इस गंभीर विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करने के लिए एमडीूय के ईएसएम सेल की समन्वयिका प्रो. राजेश धनखड़ व उनकी टीम को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के स्कूल ऑफ इनवायरमेंट साइंस के प्रोफेसर डा. केके खत्री ने बतौर मुख्य वक्ता जलवायु परिवर्तन के इतिहास, जलवायु परिवर्तन के कारणों एवं जलवायु परिवर्तन से होने वाले असर पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रो. केके खत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन निश्चित तौर पर एक गंभीर समस्या है, जिससे निपटने के लिए हमें तैयार होना होगा, इस बारे जागरूक होना होगा। उन्होंने जलवायु परितर्वन के चलते ग्लेशियर्स, समुंद्र, मौसम, कृषि, धरती आदि पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताया। प्रो. खत्री ने ग्लोबल वार्मिंग एवं ग्रीन हाउस प्रभाव पर भी प्रकाश डाला।

जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि, फरीदाबाद के कुलसचिव डा. संजय कुमार शर्मा ने बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन नियंत्रण के लिए हमें प्राकृतिक संसाधनों का कारगर उपयोग करना होगा। डीन, फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज प्रो. पुष्पा दहिया ने जीव विज्ञान संकाय की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। प्रो. पुष्पा दहिया ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते वैश्विक ताप बढ़ रहा है, जिसे नियंत्रित ना किया तो भविष्य में इसकी गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। इससे पूर्व ईएसएम सेल की समन्वयिका एवं इस राष्ट्रीय सेमिनार की संयोजिका प्रो. राजेश धनखड़ ने स्वागत भाषण दिया और सेमिनार की थीम पर प्रकाश डाला। सेमिनार के आयोजन सचिव डा. सुरेन्द्र ¨सह यादव ने बेहतरीन मंच संचालन किया। आयोजन सचिव डा. कृष्णकांत शर्मा ने उद्घाटन सत्र में आभार प्रदर्शन किया। आयोजन सचिव डा. रचना भटेरिया व संयुक्त आयोजन सचिव डा. सुनील कुमार ने आयोजन सहयोग दिया। इस अवसर पर सेवानिवृत प्रोफेसर डा. खजान ¨सह, एमडीयू के प्राध्यापकगण- प्रो. एस.सी. मलिक, प्रो. ए.एस. मान, प्रो. राधेश्याम, प्रो. अनिल छिल्लर, प्रो. सोनिया मलिक, प्रो. मीनाक्षी शर्मा समेत विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, प्राध्यापकगण, डेलीगेट्स, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

उद्घाटन सत्र के तदुपरांत इस राष्ट्रीय सेमिनार में तीन विशेष व्याख्यानों तथा एक पोस्टर सत्र का आयोजन किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के इनवायरमेंटल स्टडीज विभाग के डा. डेविड एम. कोठामासी, गुरू जंभेवश्वर विवि, हिसार के प्रो. आर. भास्कर तथा इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली की डा. सुष्मिता भास्कर ने ये विशेष व्याख्यान दिए। इस राष्ट्रीय सेमिनार की समन्वयिका प्रो. राजेश धनखड़ ने बताया कि इस राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन 16 फरवरी को प्रात: 10 बजे पोस्टर सत्र का आयोजन होगा। जिसके बाद दो विशेष व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे। समापन सत्र में भारतीय मौसम विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा. एसडी अत्री बतौर मुख्यातिथि शामिल होंगे।


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