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बदलता मौसम बढ़ा रहे फंगल इंफेक्शन के मरीज

पीजीआइएमएस से लेकर निजी अस्पतालों में बढ़ रही है मरीजों की संख्या

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 07:39 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 07:39 PM (IST)
बदलता मौसम बढ़ा रहे फंगल इंफेक्शन के मरीज
बदलता मौसम बढ़ा रहे फंगल इंफेक्शन के मरीज

जागरण संवाददाता, रोहतक : यदि आपके शरीर के किसी हिस्से पर दादनुमा लाल चकता है और वह लगातार बढ़ता जा रहा है तो सचेत हो जाइए। बदलती जीवनशैली और परिवर्तनशील मौसम के कारण फिलहाल फंगल इंफेक्शन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यूं तो यह त्वचा संबंधी एक सामान्य बीमारी है, लेकिन समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण यह काफी गंभीर हो सकता है। पीजीआइएमएस से लेकर निजी चिकित्सकों के यहां पर भी हर रोज फंगल इंफेक्शन के मरीज आ रहे हैं। क्या है इसके लक्षण, क्यों होता है फंगल इंफेक्शन और क्या है बचाव आदि बिदुओं पर रोहतक के त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. मोहित नागपाल से बातचीत। इस तरह फैलता है फंगल संक्रमण:

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डा. मोहित नागपाल का कहना है कि फंगल इंफेक्शन एक आम त्वचा संबंधी रोग होता है। यह बच्चे, बुजुर्ग, महिला और युवक किसी को भी हो सकता है। अधिकतर लोगों में यह इंफेक्शन तब होता है जब फंगस शरीर पर सीधे वार करती है। अगर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं है तो वह इस इंफेक्शन की चपेट में आ जाता है। जो शरीर पर कई प्रकार के फंफूद या कवक के कारण होता है। जिनमें डर्मेटोफाइट्स और यीस्ट प्रमुख होते हैं। शरीर के जिस हिस्से में थोड़ी नमी होती है वहां पर यह इंफेक्शन फैल जाता है। जैसे जननांग, स्तन, नाखून और पैरों की ऊंगलियों के बीच का हिस्सा आदि। यह गोले के रूप में होता है, जिसमें खुजली या जलन होती है। पसीने या नमी से यह तकलीफ बढ़ सकती है। मानसून और गर्मियों के दिनों में यह इंफेक्शन अधिक होता है। यह करें बचाव:

फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए त्वचा को सूखा व स्वच्छ रखे और नियमित स्नान करें। तंग कपड़े जैसे जींस आदि ना पहने। दूसरों के साथ कपड़े, तौलिया और जूते आदि सांझा ना करें। इसके अलावा सार्वजनिक पूल के आसपास नंगे पैर ना चले। उपयोग के बाद सभी कपड़ों को अवश्य धोए और धूप में उल्टा कर सुखाएं। कपड़े को उल्टा कर ही उस पर प्रेस की जाए। इस तरह का इंफेक्शन होने पर अधिकतर लोग लापरवाही करते हैं, जो डाक्टर की सलाह के बिना मेडिकल स्टोर से क्रीम या दवाई ले लेते हैं, जिसमें स्टेरायड की मात्रा अधिक होती है। जिसे लगाने से शुरूआत में इंफेक्शन कम होता दिखाई देगा, लेकिन वह जड़ से खत्म नहीं होगा और अंदर ही अंदर बढ़ता चला जाएगा, जो गंभीर बीमारी का रूप धारण कर सकता है।


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