आरसी के फर्जीवाड़े में दलाली का तड़का, अब कई अन्य जिले रडार पर
प्रदेश में जिस तरीके से पिछले चार माह में आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) फर्जीवाड़े और दलाली के मामले सामने आए हैं उससे कई अन्य जिले रडार पर आ गए हैं। इनमें फतेहाबाद सोनीपत और झज्जर भी शामिल हैं।
जागरण संवाददाता, रोहतक : प्रदेश में जिस तरीके से पिछले चार माह में आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) फर्जीवाड़े और दलाली के मामले सामने आए हैं उससे कई अन्य जिले रडार पर आ गए हैं। इनमें फतेहाबाद, सोनीपत और झज्जर भी शामिल हैं। चार माह पहले एसटीएफ ने चरखी दादरी से एक आरोपित को चोरी की लग्जरी गाड़ी के साथ पकड़ा था। उसके बाद चोरी की 35 से अधिक लग्जरी गाड़ियां बरामद हुई और आठ आरोपित भी गिरफ्तार हो चुके हैं। यह मामला इतना बड़ा है कि इसमें नागालैंड के एक पूर्व मंत्री का नाम भी जुड़ चुका है। आरोपित चोरी की लग्जरी गाड़ियां खरीदते थे और फिर महम एसडीएम कार्यालय में फर्जीवाड़ा कर उनकी नई आरसी तैयार करा देते थे। इसके बाद गाड़ी को महंगे दामों पर बेचा जता था। हालांकि इस मामले के उजागर होने के बाद एसटीएफ की तरफ से फतेहाबाद, सोनीपत और झज्जर जिले के एसडीएम कार्यालय से भी आरसी का रिकार्ड मांगा गया है। इसके लिए उन्हें नोटिस भी भेजा जा चुका है। सोनीपत पुलिस ने पकड़ा फर्जी आरसी गिरोह
महम एसडीएम कार्यालय में फर्जी आरसी का मामला थमा भी नहीं था कि कुछ दिन पहले सोनीपत में भी सीआइए की टीम ने एक गिरोह का पर्दाफाश किया। यह आरोपित भी लूट और चोरी की गाड़ियों को फर्जी नंबर प्लेट लगाकर बेचते थे। आरोपित इंजन व चेसिस नंबर बदलकर गाड़ी के पूरे दस्तावेज तैयार करते थे। इसके बाद गाड़ियों को महंगे दामों पर बेच दिया जाता था। आरोपितों की निशानदेही पर कई गाड़ियां बरामद की गई थी। यह गिरोह भी अधिकतर लग्जरी गाड़ियों को चोरी करता या फिर लूटता था। अब चरखी दादरी में पकड़े गए दलाल
इन मामलों की जांच अभी जारी है कि दो दिन पहले सीएम फ्लाइंग की टीम ने चरखी दादरी में कोर्ट परिसर के सामने छापेमारी कर दलाल को गिरफ्तार किया था। वह क्लर्क के साथ मिलीभगत से ड्राइविग लाइसेंस और वाहनों की आरसी बनवाता था। आरोपित के पास से 20 से अधिक आरसी बरामद की गई थी। साथ ही हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट भी मिली थीं। तीनों ही मामलों में बड़े अधिकारी अनजान कैसे
इन तीनों मामलों में अभी तक विभाग के किसी बड़े अधिकारी का नाम सामने नहीं आया है। जिस तरीके से यह मामले आए हैं उससे यह संभव नहीं लग रहा कि बड़े अधिकारी को ना पता हो। महम एसडीएम कार्यालय में करीब दो साल तक यह खेल चला, फिर भी किसी को भनक तक नहीं लगी। यहां पर भी कार्यालय के बाहर बैठने वाला टाइपिस्ट मुख्य भूमिका निभाता था।