बीमारियों को मात देकर महिलाओं को निरोगी बनाने में जुटी दया आर्या
बीमारियों को मात देकर दया आर्या रोहतक में महिलाओं को निरोगी बनाने में जुटी हुई हैं। वे न केवल स्कूलों में बल्कि पार्काें में भी महिलाओं के शिविर लगाकर उनको निरोगी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
जागरण संवाददाता, रोहतक : बीमारियों को मात देकर दया आर्या रोहतक में महिलाओं को निरोगी बनाने में जुटी हुई हैं। वे न केवल स्कूलों में बल्कि पार्काें में भी महिलाओं के शिविर लगाकर उनको निरोगी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। 66 वर्षीय दया आर्या 2009 से महिलाओं व बालिकाओं को योग के विभिन्न आसन व प्राणायाम का अभ्यास करा रही है। भरत कालोनी निवासी दया आर्या बताती हैं कि वे करीब 35 साल तक गंभीर बीमारियों की चपेट में रहीं। माइग्रेन और साइनस जैसी बीमारियों ने जिदगी की सभी खुशियां धुंधली कर दी। फिर 2003 में योग गुरु बाबा रामदेव से योग सीखा। फिर तो जिदगी में जैसे कोई चमत्कार हो गया हो। योग के निरंतर अभ्यास से खुद पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गईं। अब 11 वर्षाें से दूसरी महिलाओं को भी निरोगी बनाने का बीड़ा उठाया हुआ है। जिसमें सफलता भी मिल रही है। महिला पतंजलि योग समिति की सह राज्य प्रभारी दया आर्य कहती हैं कि करीब 17 साल की थी तब पूर्ण रूप से स्वस्थ्य थीं। एक बार अचानक बीमार हुईं तो बाद में कई गंभीर बीमारियां सामने आने लगीं। योग, प्राणायाम और ध्यान को जीवन में उतारा तो जिदगी में सेहत की खुशहाली आ गई। अब नियमित तौर से पार्कों, स्कूल व अन्य स्थानों पर योग सिखाने का कार्य करती हैं। आर्य समाज से जुड़ा है परिवार :
आर्या बताती है कि उनका पूरा परिवार आर्य समाज से जुड़ा हुआ है। नवंबर 2003 में दयानंद मठ में आर्य सम्मेलन में बाबा रामदेव शिरकत करने पहुंचे। योग गुरु बाबा रामदेव की योग क्लास में पहुंची। योग शिविर के दौरान तमाम योग की किताबें खरीदी। फिर नियमित तौर से सुबह तीन बजे से छह बजे योग करने का अभ्यास डाला और बीमारियों को मात देकर दूसरों को निरोगी बनाने में जुट गई। उनका उद्देश्य है कि सभी निरोग रहे स्वस्थ्य रहे और भारत के विकास में अपना अमूल्य योगदान दें।