रोहतक की वैश्य संस्था में सात साल में तीसरी बार बैठा प्रशासक
वैश्य शिक्षण संस्था में चुनाव अधिकारी लगाने का मामला नया नहीं है। पिछले सात साल में इस संस्था में अब तीसरी बार प्रशासन लगाया गया है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : वैश्य शिक्षण संस्था में चुनाव अधिकारी लगाने का मामला नया नहीं है। पिछले सात साल में इस संस्था में अब तीसरी बार प्रशासन लगाया गया है। जानकारों की मानें तो इस संस्था में तीन योजनाओं से चौधरी के लिए ही विवाद होता रहा है। जिनमें से प्रधान और महासचिव के बीच चौधर को लेकर पेंच फंसता रहा है। हाई कोर्ट में इस बार सुनाई से पहले ही संस्था में प्रशासन लगा दिया गया है। संस्था में दो खेमे बने होने के चलते इस प्रकार का कदम उठाया गया है। हालांकि संस्था के कुछ लोग मानते हैं कि चौधर के विवाद में ऐसा ही परिणाम सामने आता है। इस बार प्रशासक लगाया जाना नई बात नहीं है। संस्था में पिछले काफी समय से प्रधान और महासचिव के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। इसी का परिणाम है कि वैश्य समाज के हाथ से संस्था की बागडोर अब प्रशासक के पास चली गई है। वैश्य समाज के कुछ लोगों का मानना है कि प्रशासन लगाए जाने से कर्मचारियों को अब बार-बार प्रशासक के पास भागदौड़ करनी पड़ेगी। वहीं, संस्था का कामकाज प्रभावित होने की संभावनाओं से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
संस्था के पुराने सदस्यों की मानें तो वैश्य शिक्षण संस्था के 25 हजार आजीवन सदस्य हैं। जिनमें से 16 हजार सक्रिय सदस्य हैं। इस संस्था में 105 कालेजियम हैं। वैश्य शिक्षण संस्था में सात साल पहले 2013 में प्रशासक लगाया गया था। उसके बाद 2016 में प्रशासक लगाया गया और चार साल बाद अब 2020 में तीसरी बार फिर से प्रशासक लगाया गया है।
एक साल तक प्रशासक रहेंगे निगम आयुक्त
वैश्य शिक्षण संस्था में नगर निगम आयुक्त प्रदीप गोदारा को प्रशासन नियुक्त किया गया है। उनको एक साल या चुनाव होने तक प्रशासक लगाया गया है। हालांकि समाज के कुछ लोगों का कहना है कि प्रशासक लगाए जाने से भी संस्था के रूटीन कार्याें पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं, समाज के लोगों ने जल्द से जल्द चुनाव कराए जाने की मांग भी उठाई है।