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Justice delay: बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए ADJ को करना पड़ा 22 साल इंतजार, हर कदम पर पड़ा जूझना

अदालत में काम के बोझ के कारण आम लोगाें को न्‍याय मिलने में देरी की शिकायतें रहती हैं। हालात यह हैं कि एक एडीजे को बेटी के लिए इंसाफ मिलने में 22 साल लग गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 06:41 PM (IST)
Justice delay: बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए ADJ को करना पड़ा 22 साल इंतजार, हर कदम पर पड़ा जूझना
Justice delay: बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए ADJ को करना पड़ा 22 साल इंतजार, हर कदम पर पड़ा जूझना

रोहतक, [विनीत तोमर]। अदालती इंसाफ में देरी के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। रोहतक में तैनात रहे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) को ही अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने में 22 साल लग गए। मामला बेटी से मारपीट व अपहरण प्रयास का था। केस सीबीआइ, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोहतक के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की कोर्ट ने आरोपित को मारपीट का दोषी पाते हुए नौ माह कैद की सजा सुनाई है। साथ ही 900 रुपये जुर्माना भी लगाया।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोहतक कोर्ट में जुलाई 2019 में शुरू हुई थी सुनवाई

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 31 जनवरी 1998 को एडीजे की बेटी को पीछे से आकर किसी ने धक्का मारा, जिससे उसका सिर दीवार में लग गया और चोट आई। आरोपित ने उसके मुंह को पेपर से भी दबाने की कोशिश की और फिर वहां से फरार हो गया। इस पर अपहरण के प्रयास और मारपीट का केस दर्ज किया गया था। कुछ माह बाद उनकी बेटी ने डीएलएफ कालोनी में आरोपित कंवर सिंह को पहचान लिया।

वह रोहतक के चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट आफिसर की गाड़ी का चालक था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद शिकायतकर्ता यानी एडीजे ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका लगाई कि मामले की सीबीआइ जांच हो। तर्क था कि उनके पास एक्साइज एक्ट के अधिकतर केस आते हैं। इनमें बेल एप्लीकेशन होती हैं और उन्हें लेकर काफी दबाव रहता है। इसमें तत्कालीन सेशन जज, जिला उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को भी शक के दायरे में रखा गया था।

दो बार हुई सीबीआइ जांच

हाई कोर्ट के आदेश के बाद  सीबीआइ जांच हुई। आरोपित का पॉलीग्राफी टेस्ट भी कराया गया। सीबीआइ ने जांच रिपोर्ट में आरोपित को निर्दोष करार दिया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने फिर से याचिका लगाई कि कुछ तथ्यों पर गौर नहीं किया। दोबारा से जांच होनी चाहिए। सीबीआइ ने फिर जांच की। उसमें भी आरोपित निर्दोष मिला।

इसके बाद शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई और कहा कि यह काफी बड़ा मामला है। ऐसे में केस को हरियाणा से बाहर किसी राज्य में स्थानांतरित किया जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस केस ट्रांसफर करने की एप्लीकेशन को खारिज कर दिया था मगर रोहतक कोर्ट को आदेश दिए थे कि वह मामले की सुनवाई कर छह माह के अंदर फैसला सुनाए। जुलाई 2019 में यह केस एडीजे आरपी गोयल की कोर्ट में पहुंचा था।


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