एसिड दोषी साबित होने पर कम से कम 10 साल कैद : राजबीर
संवाद सहयोगी, कलानौर : जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप क
संवाद सहयोगी, कलानौर : जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप की तरफ से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गुढाण में कानूनी जागरूकता व साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता कश्यप ने बताया कि एसिड अटैक रोकने के लिए आज काफी सख्त कानून बनाए गए हैं। जस्टिस जेएस वर्मा कमीशन की सिफारिशों के तहत सरकार ने नए कानूनी प्रावधान किए हैं और इसी के कारण आइपीसी की धारा 326-ए और 326-बी नियम में आया है। आइपीसी की धारा 326- ए के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर कोई शख्स किसी दूसरे पर एसिड से हमला करता है। जिसकी वजह से उस व्यक्ति के शरीर का अंग खराब होता है, शरीर पर जख्म, जलता या झुलसता है तो ऐसे व्यक्ति को दोषी साबित होने पर कम से कम 10 साल कैद और अधिक से अधिक उम्रकैद की सजा दी जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर उसका अंग खराब करने या नुकसान पहुंचाने की नियत से एसिड फेंकने की कोशिश करता है तो उसे आइपीसी की धारा 326-बी के तहत दोषी करार दिए जाने पर कम से कम पांच साल और ज्यादा से ज्यादा सात साल की कैद की सजा दी जा सकती है। एसिड अटैक को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा है कि वह एसिड की बिक्री को रेगुलेट करने के लिए सख्त कानून एसिड अटैक पीड़ित महिला को इलाज, निश्शुल्क कानूनी सहायता व पुनर्वास के लिए तीन लाख रुपये की मुआवजा राशि देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि महिलाओं पर तेजाब फेंकने की बढ़ती घटनाएं गंभीर ¨चता का विषय है। इन अपराधों से निपटने के लिए एसिड अटैक की घटनाओं को अलग से एक अपराध घोषित किया जाना चाहिए। इस अवसर पर पीएलवी माया देवी, सरिता देवी, नीरू देवी, लीगल लिटरेसी विभाग इंचार्ज अंजु देवी, रनबीर ¨सह व हरभगवान ¨सह मौजूद रहे।