छात्राओं से छेड़छाड़ के मामले में प्राध्यापक-प्राध्यापिका का एक माह बाद क्लीन चिट
विनीत तोमर रोहतक सुपवा (पंडित लख्मी चंद दृश्य एवं कला विश्वविद्यालय) की छात्राओं के साथ छेड़छ
विनीत तोमर, रोहतक
सुपवा (पंडित लख्मी चंद दृश्य एवं कला विश्वविद्यालय) की छात्राओं के साथ छेड़छाड़ के मामले में आरोपित प्राध्यापक और प्राध्यापिका को पुलिस ने क्लीन चिट दे दी है। करीब एक माह तक चले इस प्रकरण के बाद दोनों के खिलाफ किसी भी छात्र या छात्रा ने लिखित या मौखिक तौर पर कोई शिकायत नहीं दी। वहीं पुलिस जांच में भी प्राध्यापक-प्राध्यापिका का कोई दोष सामने नहीं आया। इस वजह से पुलिस ने दोनों को क्लीन चिट दे दी है। इसी सप्ताह मुख्य आरोपित के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र पेश कर दिया जाएगा। यह था मामला
अप्रैल माह में यूनिवर्सिटी के एक डिपार्टमेंट का पिछले माह राजस्थान में टूर गया था। टूर में छात्र-छात्राओं के अलावा एक लैब टेक्नीशियन, एक प्राध्यापक और प्राध्यापिका भी शामिल थे। कई दिन के टूर के बाद जब सभी वापस लौटे तो कई छात्राओं ने रजिस्ट्रार प्रो. भारती शर्मा को शिकायत दी। शिकायत में बताया था कि लैब टेक्नीशियन ने शराब के नशे में उनके कमरे के दरवाजे खटखटाए और मोबाइल से फोटो लेकर ब्लैकमेल भी किया। यूनिवर्सिटी ने आनन-फानन में इस मामले पर जांच बैठाई। कई दिनों तक चली जांच के बाद अधिकारियों ने लैब टेक्नीशियन समेत तीनों को सस्पेंड कर दिया था। प्राध्यापक-प्राध्यापिका पर आरोप था कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई और वापस आने के बाद भी इस तरह का कोई जिक्र नहीं किया। बयान से बच रहे थे प्राध्यापक और प्राध्यापिका
शिकायत के आधार पर महिला थाना पुलिस ने तीनों के खिलाफ मामला दर्ज कर मुख्य आरोपित लैब टेक्नीशियन को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। जहां से उसे जमानत मिल गई थी। जबकि प्राध्यापक और प्राध्यापिका को तभी से बयान के लिए बुलाया जा रहा था। पुलिस के बार-बार बुलाने के बाद भी वह बयान देने नहीं आ रहे थे। करीब एक माह तक यह प्रकरण चलता रहा। कई बार यूनिवर्सिटी की तरफ से भी नोटिस जारी किए गए। हाल ही में प्राध्यापक-प्राध्यापिका ने अपने बयान दर्ज कराए। पुलिस ने छात्र-छात्राओं के भी बयान दर्ज किए, जिसमें प्राध्यापक-प्राध्यापिका के खिलाफ किसी ने कोई शिकायत नहीं दी। पुलिस ने भी अपने स्तर पर जांच पड़ताल की, जिसके बाद अब दोनों को क्लीन चिट दे दी गई है। दैनिक जागरण ने किया था खुलासा
मामला सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपने स्तर पर तीनों को सस्पेंड कर जांच कमेटी बना दी थी, लेकिन सभी को हिदायत दी थी कि यह मामला बाहर नहीं जाना चाहिए। इसके बाद दैनिक जागरण तक यह मामला पहुंचा और 6 मई के अंक में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद यूनिवर्सिटी में भी हड़कंप मच गया था। प्राध्यापक-प्राध्यापिका के खिलाफ किसी ने शिकायत नहीं दी। पुलिस जांच में भी उनके खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिले। ऐसे में उन्हें केस से बाहर किया गया। इस मामले में लैब टेक्नीशियन ही मुख्य आरोपित है।
-इंस्पेक्टर कमलेश, महिला थाना प्रभारी
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