675 प्लाट मालिकों को कब्जे तो मिले, लेकिन यहां सड़क न पानी
दिल्ली रोड स्थित सनसिटी सेक्टर-27 में लंबे संघर्ष के बाद सभी 675 प्लाट मालिकों को कब्जे तो मिल गए। लेकिन विकास कार्य रफ्तार नहीं पकड़ सके। पिछले एक साल से विकास कार्य अधर में पड़े हैं। अब सेक्टर वालों को दोहरी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। प्लाट पाने के लिए दो बार रकम जमा करा चुके हैं। अधूरे विकास कार्यों के चलते घरों का निर्माण कराना भी चिता का सबब बना हुआ है। वहीं हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण(एचएसवीपी) के अधिकारियों ने दावा किया है कि 25 करोड़ के विकास कार्यों की मंजूरी मिल गई है।
संभावित लीड ::::
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- 350 एकड़ के इस सेक्टर में अटके विकास कार्य
- लंबे संघर्ष के बाद मिल सके सेक्टर वालों को कब्जे
- अफसरों का दावा, कोरोना ने 25 करोड़ के काम अरुण शर्मा, रोहतक
दिल्ली रोड स्थित सनसिटी सेक्टर-27 में लंबे संघर्ष के बाद सभी 675 प्लाट मालिकों को कब्जे तो मिल गए। लेकिन विकास कार्य रफ्तार नहीं पकड़ सके। पिछले एक साल से विकास कार्य अधर में पड़े हैं। अब सेक्टर वालों को दोहरी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। प्लाट पाने के लिए दो बार रकम जमा करा चुके हैं। अधूरे विकास कार्यों के चलते घरों का निर्माण कराना भी चिता का सबब बना हुआ है। वहीं, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण(एचएसवीपी) के अधिकारियों ने दावा किया है कि 25 करोड़ के विकास कार्यों की मंजूरी मिल गई है। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते काम शुरू कराने में अड़चने सामने आ रहीं हैं।
सेक्टर की संघर्ष समिति के प्रधान दिनेश मलिक ने दावा किया है कि साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने एचएसवीपी को संबंधित सेक्टर को विकसित करने के आदेश दिए थे। इसके लिए नए सिरे से विकास कार्यों पर होने वाले खर्चे का ब्योरा तैयार करके प्लाट मालिकों से रकम जमा कराई जा चुकी है। प्लाट खरीदने के दौरान साल 2010 में ही बिल्डर को रकम जमा कराई गई थी। यह भी दावा किया गया है कि सेक्टर-27 दिल्ली रोड पर बेहतर लोकेशन के बावजूद भी विकसित नहीं हो सका। एचएसवीपी के अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठाते हुए प्रधान ने दावा किया है कि सनसिटी सेक्टर-35, सेक्टर-36, सेक्टर-37 पूरी तरह से विकसित हो गए हैं। यहां इतना कार्य क्यों पिछड़ा हुआ है। खाली प्लाट में अभी भी हो रही खेती, खारे पानी की आपूर्ति
संघर्ष समिति के प्रधान दिनेश का दावा है कि अभी तक 15-20 ही घर निर्मित हो सके हैं। गांवों की तर्ज पर यहां बिजली की आपूर्ति होती है। तीन-चार घंटे तक नियमित कट लगते हैं। कई स्थान पर ट्रांसफॉर्मर नहीं लगाए तो बिजली के तार भी बिछाने का कार्य अधूरा है। पेयजल आपूर्ति के लिए बूस्टिग स्टेशन का निर्माण हो चुका है। फिर भी खारे पानी की आपूर्ति हो रही है। सीवरेज लाइन बिछी नहीं। कुछ खाली प्लाट में आज भी खेती हो रही है। ग्रीनबेल्ट में झाड़ियां खड़ी हैं। एचएसवीपी के अधिकारियों का दावा, विकसित करेंगे सबसे बड़ा सेक्टर
भविष्य में तेजी से कार्य शुरू हुए तो इस सेक्टर में सबसे बड़ा सेक्टर विकसित होगा। यहां 2500 रिहायशी प्लाट विकसित किए जाएंगे। एचएसवीपी के एक्सईएन डीके आहूजा पहले ही कह चुके हैं कि मुख्यालय से मंजूरी मिली। विकास कार्य यहां शुरू कराते उससे पहले ही कोरोना संक्रमण के चलते सभी कार्य ठप हो गए।