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स्कूल में लाखों के डिजिटल बोर्ड लगाए, विद्यार्थियों के बैठने को बैंच नहीं

जागरण संवाददाता रोहतक प्रदेश सरकार ने आदेशों के अनुसार सोमवार को पहली से तीसरी

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 07:04 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 07:04 AM (IST)
स्कूल में लाखों के डिजिटल बोर्ड लगाए, विद्यार्थियों के बैठने को बैंच नहीं
स्कूल में लाखों के डिजिटल बोर्ड लगाए, विद्यार्थियों के बैठने को बैंच नहीं

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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प्रदेश सरकार ने आदेशों के अनुसार सोमवार को पहली से तीसरी क्लास के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोल दिए गए। स्कूलों में पहले दिन काफी कम संख्या में इन क्लासेज के विद्यार्थी पहुंचे। कोविड-19 के नियमों के तहत स्कूलों में कक्षाएं लगाई जानी थी, लेकिन अव्यवस्थाएं रहीं। प्रेम नगर रोड स्थित राजकीय माडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल में विद्यार्थियों को बैठने के बैंच नहीं है। स्कूल में लाखों रुपये के डिजिटल बोर्ड लगवा दिए गए हैं, लेकिन, विद्यार्थियों के बैठने के लिए कमरे भरपूर नहीं है। सुबह नौ से 12 बजे तक पहली से तीसरी क्लास के विद्यार्थियों के लिए स्कूल लगे। पहले दिन बामुश्किल 39 फीसद तक विद्यार्थी ही स्कूल पहुंचे। विद्यार्थियों के स्कूल आगमन पर हाथों को सैनिटाइज कराने और मास्क लगवाने की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की थी। कई स्कूलों में हाथों को सैनिटाइज तो कराया गया लेकिन, मास्क को लेकर लापरवाही साफ दिखी। प्रेम नगर रोड स्थित राजकीय माडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल को संस्कृति स्कूल घोषित किया गया है, लेकिन सुविधाओं के मामले में यह फिसड्डी है। दो मंजिला इमारत में पहली से तीसरी क्लास के विद्यार्थियों के लिए पहली मंजिल पर प्रबंध किए गए हैं। पहली और दूसरी क्लास के विद्यार्थियों को एक ही कमरे में कंबाइन पढ़ाया जा रहा है। कमरे में डिजिटल बोर्ड पर शिक्षक पढ़ा रहे हैं, लेकिन बैंच न होने से बच्चों को टाट पर भी बैठना पड़ रहा है। यहां पढ़ा रहे अध्यापक बताते हैं कि डिजिटल बोर्ड की कीमत करीब एक लाख तक है। दो डिजिटल बोर्ड मिले हैं। अलग-अलग कमरों में लगाया गया है। तीसरी क्लास के विद्यार्थी बरमादे में बैठाए

राजकीय माडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल में तीसरी क्लास के विद्यार्थी बरामदे में बैठे हुए मिले। बैंच भी नहीं थे। टाट पर विद्यार्थियों को बैठाया गया था। अध्यापिका ने बताया कि कमरों के अभाव में विद्यार्थियों को बरामदे में टाट पर बैठना पड़ रहा है। उनकी नई ज्वाइनिग हुई है, विद्यार्थी उन्हें पहचानते भी नहीं है। एक अन्य शिक्षिका ने दूर से ही बच्चों को मास्क लगाने का इशारा कर दिया है। डरे बच्चों में कुछ ने हाथ से मुंह ढक लिया, तो कुछ ने जेब से रुमाल निकालकर चेहरे पर लगा लिया।


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