हाउस की बैठक से पहले नगर निगम कार्यालय में जुटेंगे सभी 22 पार्षद 96 करोड़ के अटके कार्यो पर करेंगे मंथन
जागरण संवाददाता रोहतक शहर में बजट के अभाव में अटके पड़े करीब 96 करोड़ के विका
जागरण संवाददाता, रोहतक : शहर में बजट के अभाव में अटके पड़े करीब 96 करोड़ के विकास कार्यों को शुरू कराने के लिए मंथन होगा। मंगलवार या फिर बुधवार को नगर निगम के सभी 22 पार्षद निगम कार्यालय में जुटेंगे। डिप्टी मेयर अनिल कुमार ने पहल शुरू की है। डिप्टी मेयर सोमवार से निगम कार्यालय में नियमित बैठना शुरू करेंगे। सभी पार्षदों के साथ होने वाली बैठक में बजट, सब कमेटियों के गठन और हाउस की बैठक तय कराने पर चर्चा होगी। इसके साथ ही किस वार्ड में कितनी रकम के विकास कार्य अटके पड़े हैं और अड़चनों को दूर कराकर उन कार्यों को शुरू कराने पर मंथन होगा।
वीरवार को नगर निगम कार्यालय में सीनियर डिप्टी मेयर राजू सहगल और डिप्टी मेयर अनिल कुमार को कार्यालय मिल चुके हैं। डिप्टी मेयर ने पहल शुरू की है कि सभी पार्षद हाउस की बैठक से पहले बैठक करें। निगम हाउस की बैठक इसी माह प्रस्तावित है। इसलिए सोमवार को कोशिश है कि हर हाल में हाउस की बैठक की तारीख तय हो। हाउस की बैठक से पहले छह से आठ सब कमेटियों के गठन पर भी मंथन होना है। इस बार हाउस की बैठक का बजट 196 करोड़ रुपये होने के आसार हैं, पिछली बार करीब 175 करोड़ रुपये का बजट था। इसके साथ ही प्रति माह हाउस की बैठक भी कराने की तैयारी है। सब कमेटियों में कांग्रेसी पार्षद कदम व गुलशन भी होंगे एडजस्ट
सीनियर डिप्टी मेयर को निर्विरोध चुना गया था। हालांकि डिप्टी मेयर चुनाव में वार्ड-4 के पार्षद धर्मेंद्र गुलिया पप्पन के नाम पर सर्वसम्मति नहीं बनी थी। इसलिए वार्ड-1 के पार्षद कृष्ण सेहरावत ने चुनाव कराने की बात कही थी। चुनाव के दौरान वार्ड-21 के पार्षद अनिल कुमार को डिप्टी मेयर पद पर जीत मिली थी। चुनाव बीते साल दो दिसंबर को हुए थे। अनिल कांग्रेसी पार्षद कदम सिंह अहलावत और वार्ड-15 के कांग्रेस पार्षद गुलशन ईशपुनियानी के समर्थन से चुनाव जीते थे। इसलिए माना जा रहा है कि नगर निगम की सब कमेटियों के गठन में विरोधी पार्षदों को भी मौका मिलेगा। मनोनीत पार्षद के लिए भाजपा में लॉबिग शुरू
भाजपा के तमाम पदाधिकारी मनोनीत होने की दौड़ में शामिल हो गए हैं। रोहतक नगर निगम के लिए तीन पार्षद मनोनीत हो सकते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर के पास तमाम पदाधिकारी आशीर्वाद लेने जा चुके हैं। कुछ ऐसे भी पदाधिकारी हैं, जोकि 2018 में नगर निगम चुनाव में टिकट पाने से भी पिछड़ गए थे। अब लॉबिग इसलिए भी तेज हो गई है कि निगम का कार्यकाल महज तीन साल का शेष बचा है। साल 2013 के कार्यालय में भी चौथे साल में पार्षद मनोनीत हो सके थे। इसलिए मनोनीत पार्षदों का कार्यकाल सिर्फ एक साल ही रहा। बता दें कि पिछले टर्न में 20 पार्षद थे, जबकि इस बार कुल 22 पार्षद हैं।