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प्रैक्टिस के लिए कभी खुद के पास नहीं थे गल्व्स, अब पंच से प्रतिद्वंद्वियों को दे रही मात

रतन चंदेल रोहतक रोहतक के जिस गांव की एक बेटी के पास कभी बॉक्सिग प्रैक्टिस के लिए खुद

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 07:42 AM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 07:42 AM (IST)
प्रैक्टिस के लिए कभी खुद के पास नहीं थे गल्व्स, अब पंच से प्रतिद्वंद्वियों को दे रही मात
प्रैक्टिस के लिए कभी खुद के पास नहीं थे गल्व्स, अब पंच से प्रतिद्वंद्वियों को दे रही मात

रतन चंदेल, रोहतक : रोहतक के जिस गांव की एक बेटी के पास कभी बॉक्सिग प्रैक्टिस के लिए खुद के गल्व्ज तक नहीं थे, अब वहीं बेटी रिग में अपने प्रतिद्वंद्वियों को चित कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है। यहां हम बात कर रहे हैं रुडकी गांव की बेटी ज्योति गुलिया की। जिन्होंने 2012 में गांव की लड़कियों को बॉक्सिग करते देखा था। तभी से उनको भी बॉक्सिग का जुनून हो गया और वे गांव में ही शहीद बैतून सिंह स्टेडियम में कोच विजय हुड्डा के पास बॉक्सिग का निशुल्क अभ्यास करने जाने लगी। जबकि परिवार वाले बेटी के लिए बॉक्सिग को खतरनाक खेल मानते थे और वे उनको बॉक्सिग करने तक से मना करने लगे। लेकिन ज्योति को बॉक्सिग का जुनून हो गया और वह कभी टयूशन पढ़ने तो कभी सहेली के पास जाने की कहकर घर से स्टेडियम आकर प्रैक्टिस करने लगी। कोच ने भी ज्योति की प्रतिभा को पहचान लिया और उनको यहां जमकर निशुल्क प्रैक्टिस कराई। अपनी पंच लगाने की प्रतिभा के दम पर ही ज्योति ने महम तीन माह में ही स्टेट में गोल्ड मेडल जीत लिया। जिससे परिवार वाले खुश हुए और उसके बाद बेटी को आगे खेलने के लिए खूब प्रोत्साहित करने लगे। ज्योति एक साल के दौरान ही नेशनल में सिल्वर मेडल भी जीत लिया। ज्योति बताती हैं कि उनके पास शुरुआत में खुद के गल्ब्ज तक नहीं थे तो कोच विजय हुड्डा ने गल्ब्ज उपलब्ध कराए थे। ज्योति के पिता मामन सिंह किसान है जबकि मां रोशनी देवी गृहिणी है। 2017 से हैं भारतीय टीम का हिस्सा :

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ज्योति अब 20 से 28 फरवरी तक बुलगारिया देश में होने वाले स्टरेंजा कप में हिस्सा लेंगी और 51 किलोग्राम भार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। इस कप में भारत से पांच महिला बॉक्सर भाग लेंगी। जिनमें 51 किलोग्राम वेट कैटेगरी में हरियाणा से केवल ज्योति गुलिया का चयन किया गया है। रोहतक के रुडकी गांव में सामान्य किसान परिवार की यह बेटी 2017 से लगातार भारतीय महिला बॉक्सिग कैंप का हिस्सा बन रही हैं। होम ग्राउंड में जमकर की मेहनत :

कोच विजय हुड्डा का कहना है कि लॉकडाउन के समय ज्योति ने रुडकी स्थित अपने होम ग्राउंड में 10 महीने तक जमकर मेहनत की। ज्योति यूथ ओलंपिक की प्रतिभागी और यूथ व‌र्ल्ड चैंपियनशिप की गोल्ड मेडलिस्ट भी हैं। 2019 की सीनियर नेशनल बॉक्सिग की भी गोल्ड मेडलिस्ट हैं। वे सात बार इंटरनेशनल चैंपियन रह चुकी हैं। ज्योति से बुलगारिया में भी गोल्ड जीतने की उम्मीद है। ज्योति अब तक ढेरों मेडल जीत चुकी है। उनका लक्ष्य ओलंपिक में मेडल जीतना है। ये हैं ज्योति गुलिया की उपलब्धियां :

- 2012 में स्टेट में गोल्ड मेडल

- 2013 में नेशनल में सिल्वर मेडल

-2017 में हुए यूथ व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल

- सर्बिया में हुए बॉक्सिग कप में गोल्ड मेडल

- 2017 में तूर्की में हुए बॉक्सिग मुकाबले में कांस्य पदक

- यूथ नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल

- 2018 में पौलेंड में हुए मुकाबले में गोल्ड मेडल

- 2019 में हुए इंडिया ओपन मुकाबले में कांस्य पदक

- 2020 में हुई सीनियर नेशनल बॉक्सिग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल

- 2020 में हंगरी में हुए अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिग मुकाबले में सिल्वर मेडल


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