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किताबी कीड़ा बनने के बजाय रचनात्मक अध्ययन करना ज्यादा प्रभावी : अनिल मलिक

संवाद सहयोगी सांपला हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की राज्य स्तरीय महत्वाकांक्षी परियोजना

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 05:32 AM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 05:32 AM (IST)
किताबी कीड़ा बनने के बजाय रचनात्मक अध्ययन करना ज्यादा प्रभावी : अनिल मलिक
किताबी कीड़ा बनने के बजाय रचनात्मक अध्ययन करना ज्यादा प्रभावी : अनिल मलिक

संवाद सहयोगी, सांपला : हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की राज्य स्तरीय महत्वाकांक्षी परियोजना बाल सलाह परामर्श एवं कल्याण केंद्रों की स्थापना के अंतर्गत वीरवार को नेहरू माडल स्कूल में आनलाइन मनोवैज्ञानिक परामर्श कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें बच्चों, अभिभावकों व शिक्षकों को सवाल आपके जवाब हमारे कार्यक्रम के माध्यम से मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने जानकारी दी।

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अनिल मलिक ने कहा कि बच्चों को समय से पहले एक्सपोजर आने वाले समय में खतरनाक परिणाम लेकर आएगा। बेहतर समझ के साथ तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। विषय की आधारभूत जानकारी हासिल करें, किताबी कीड़ा नहीं रुचिकर विषयों का रचनात्मक, प्रयोगात्मक अध्ययन ज्यादा प्रभाव कारी रहता है। विषय की समझ का अभाव ,आत्मविश्वास की कमी, मन का डर, विषय में रुचि ना होना। कई बार बोलने का हुनर होते हुए भी बच्चे विषय विशेष के बारे में बात नहीं करते। जरूरी है घर पर बेहतर शुरुआत करें सवालों के सही जवाब दें। ग्रुप एक्टिविटी करवाएं, बातचीत के अवसर निर्मित करें, बच्चों को खुलकर ,बेझिझक बात कहने के अवसर प्रदान करें, प्रेरित करें। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों के ज्ञान और कौशल की सीमा, सतर्कता, रचनात्मकता, नेतृत्व की गुणवत्ता का विकास करना होना चाहिए। घबराहट का वास्तविक कारण जानिए तत्पश्चात विवेक बुद्धि से दूर करें। घबराहट की जड़ मनुष्य के मन मैं मौजूद रहती है अत: जिन बातों को करने से डर लगता है उन्हें आवश्यक रूप से कीजिए। पकी सोच को सच में बदलने की शक्ति, सपनों को हकीकत में बदल सकती है, यही आपकी ²ढ़ इच्छाशक्ति है। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यअध्यापिका स्नेहलता ने की। विशेष भूमिका सहायक कार्यक्रम अधिकारी भारती शर्मा व नीलम दलाल की रहीं।


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