ईको फ्रेंडली बसों के संचालन पर फंसा पेच, फर्म ने रखी पूरे शुल्क माफी की शर्त
जागरण संवाददाता रोहतक शहर में ईको फ्रेंडली बसें सड़क पर फिलहाल उतरने हुए नहीं
जागरण संवाददाता, रोहतक : शहर में ईको फ्रेंडली बसें सड़क पर फिलहाल उतरने हुए नहीं दिख रहीं हैं। जिस फर्म को बसों के संचालन का जिम्मा मिला है उसने नगर निगम के अधिकारियों के समक्ष बड़ी शर्त रख दी है। फर्म के संचालकों ने दावा किया है कि कोरोना संक्रमण काल में बसों से लेकर दूसरे सभी खर्चे बढ़ गए हैं। 32 सीट वाली बस में सिर्फ 16 सवारी ही बैठ सकेंगी। बसों की खरीद का भी खर्चा बढ़ गया है। यह भी चेतावनी दी है कि नगर निगम प्रशासन ने मासिक किराए से पूरी तरह से राहत नहीं दी तो एक भी बस का संचालन नहीं करूंगा।
अब फर्म संचालक ने नगर निगम के आयुक्त प्रदीप गोदारा और मेयर मनमोहन गोयल के समक्ष बड़ी शर्त रख दी है। दावा किया है कि प्रति माह 11500 रुपये प्रति बस शुल्क नगर निगम में जमा कराना होगा। कोरोना संक्रमण काल में नुकसान होने का दावा किया है कि किराया दो माह का नहीं बल्कि जब तक फर्म बसों के संचालन से फायदे में नहीं आ जाती तब तक माफ हो। पर्यावरण के अनुकूल सीएनजी(कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) से पहले चरण में पांच बसों का संचालन होना है। ट्रायल सफल होने की स्थिति में पांच-छह रूट पर कुल 20 बसों के संचालन की योजना थी। मार्च में रोहतक की एक फर्म को बसों क संचालन के लिए वर्क आर्डर मिल गया। इसी दौरान कोरोना संक्रमण का मामला बढ़ गया। तब से योजना सिरे नहीं चढ़ी। वहीं, पूरे प्रकरण में नगर निगम के आयुक्त प्रदीप गोदारा ने एक्सईएन हेड क्वार्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। इस विवाद को सुलझाने के लिए संबंधित कमेटी और फर्म जल्द वार्ता करेंगी। फर्म संचालक का दावा, हर स्तर से हुआ नुकसान
फर्म से जुड़े डा. राजपाल देशवाल ने दावा किया है कि 32 सीट वाली सीएनजी बस में कोरोना की शर्तों के चलते सिर्फ 16 सवारी ही बैठ सकेंगी। समय की भी पाबंदी रहेगी। सवारी कम बैठेंगी तो फायदा कैसे होगा। सैनिटाइजेशन से लेकर दूसरे खर्चे भी बढ़ जाएंगे। ऐसे ही सीएनजी की बसों की कीमतों में सात-लाख रुपये तक का अंतर आएगा। क्योंकि नए नियमों के तहत अब एस-5 बसें ही खरीदी जाएंगी। सीएनजी गैस के दाम बढ़ने का दावा किया है। इससे भी नुकसान होगा। वर्जन
शहरी क्षेत्र में बसों के संचालन के लिए हमने पूरी तैयारी की थी। लेकिन अब फर्म की तरफ से कड़ी शर्तें रखना ठीक नहीं। शहर की सुविधा के लिए बसों का संचालन होना था। फर्म के अधिकारियों को खुद सोचना चाहिए कि नगर निगम की आमदनी नहीं, पूरी तरह से शुल्क कैसे माफ किया जा सकता है।
मनमोहन गोयल, मेयर, नगर निगम
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नगर निगम के पास आय के स्त्रोत कम हैं। अपने अपनी पॉवर का उपयोग करते हुए यही कहा है कि दो माह तक का किराया माफ कर सकते हैं। फिर भी इस विवाद का हल निकालने के लिए एक्सईएन हेडक्वार्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है। जल्द ही कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी।
प्रदीप गोदारा, आयुक्त, नगर निगम
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मैं बसों का संचालन इसी शर्त पर करूंगा कि मासिक शुल्क पूरी तरह से माफ हो। जब तक बसों के संचालन से मुझे फायदा नहीं हो तब तक शुल्क माफ होना चाहिए। नगर निगम प्रशासन की देरी के चलते मेरे अन्य खर्चे बढ़ गए। यदि निगम प्रशासन मेरी मांग नहीं मानेगा तो मैं बसों का संचालन नहीं करूंगा।
डा. राजपाल देशवाल, फर्म संचालक, रोहतक