दूसरे दिन भी हुई गोवंश की तलाश, तीन गोवंश का कराया पोस्टमार्टम, पीड़ित बोले, अब यहां नहीं रहेंगे
संवाद सहयोगी सांपला सांपला में निर्माणाधीन बाईपास की पुलिया के नीचे हादसे का शिकार हुए 7
संवाद सहयोगी, सांपला : सांपला में निर्माणाधीन बाईपास की पुलिया के नीचे हादसे का शिकार हुए 72 गोवंश में से तीन के शवों को बृहस्पतिवार को फिर से बाहर निकाला गया। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में तीनों के शवों पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद दोबारा से वहीं पर दफना दिया गया। उधर, पीड़ित चरवाहों की तरफ से इस मामले में कोई शिकायत नहीं दी गई है। हालांकि उनका कहना है कि हादसे में करीब आठ लाख रुपये का नुकसान हुआ है। पीड़ितों का कहना है कि अब वह यहां पर नहीं रहेंगे। यहां से जल्दी ही पलायन कर जाएंगे। यह था मामला
दरअसल, सांपला के पास निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग 334 की बाईपास की पुलिया के नीचे मिट्टी में दबने से 70 गोवंश की मौत हो गई थी। रात में पता चलते ही आनन-फानन में लावारिस पीड़ित पशु सेवा संघ और बाबा हरिदास पीड़ित पशु सेवा समिति समेत अन्य स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे थे। जिसके बाद जेसीबी से बचाव कार्य शुरू किया गया था, लेकिन तब तक गोवंश की मौत हो गई थी। इसके बाद दो गोवंश ने डेरे में जाकर दम तोड़ दिया था। यानी कि हादसे में 72 गोवंश की मौत हो गई थी। रात में ही उन्हें घटनास्थल से थोड़ी दूर दफनाया गया। दिन निकलने के बाद भी की गई गोवंश की तलाश, डाक्टरों के बोर्ड ने किया पोस्टमार्टम
यूं तो रात में ही सभी गोवंश को निकाल लिया गया था, लेकिन आशंका थी कि अंधेरे के कारण और भी गोवंश दबे हो सकते हैं। इसके चलते बृहस्पतिवार को सुबह के समय भी पुलिस-प्रशासनिक और एनएचएआइ के अधिकारी वहां पर पहुंचे और मौका मुआयना किया। चरवाहों के साथ वहां पर गोवंश की तलाश की गई। हालांकि कोई गोवंश वहां पर दबा हुआ नहीं मिला। उधर, हाईवे अथॉरिटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वीके शर्मा भी वहां पर पहुंचे। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली और कर्मचारियों को जमकर फटकार लगाई। वहीं इस मामले में पीड़ितों की तरफ से पुलिस को कोई शिकायत नहीं दी गई। पुलिस ने शाम के समय तीन गोवंश को मिट्टी से बाहर निकालकर उनका पोस्टमार्टम कराया, जबकि बाकी का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। बताया जा रहा है कि अधिकारियों के दबाव में आकर वह शिकायत देने से पीछे हट रहे हैं। एक माह से जमा रखा था सांपला में डेरा
डेरे के मुखिया बसना ने बताया कि वह मूलरूप से राजस्थान के जालोर जिले के रहने वाले हैं। उनके काफिले में 120 गोवंश थे, जो 15 किसानों के थे। गोवंश के मरने से उनका करीब आठ लाख रुपये का नुकसान हुआ है। वह सर्दियों में अपने जिले से चले थे। फिलहाल वह करीब एक माह से सांपला में थाने के पास रह रहे थे। दिन के समय वह गोवंश को इधर-उधर चराते थे और रात के समय सभी गोवंश को डेरे में लेकर आ जाते थे। रात को वापस लौटते ही हादसा हुआ है। बसना का कहना है कि अब यहां रहने का मन नहीं है। वह बाकी बचे गोवंश को यहां से लेकर जल्दी चले जाएंगे। उजड़ गई हमारी दुनिया, बच्चों से भी प्यारे थे गोवंश
समेला और भज्जाराम का कहना है कि वह गोवंश को बच्चों से भी ज्यादा प्यार करते थे। कई गोवंश के नाम भंवर, काजोल, पायल और झोभू रखा हुआ था। एक बार आवाज लगाने के बाद वह दूर से भागकर आ जाते थे। गोवंश को याद कर दोनों भावुक हो गए। नम आंखों से बोले कि अब वह किसे इतने प्यार से बुलाएंगे। उनकी दो वक्त की रोजी-रोटी का बंदोबस्त भी अब खत्म हो गया।
इस मामले में चरवाहों की तरफ से कोई शिकायत नहीं आयी है। हालांकि तीन गोवंश का पोस्टमार्टम कराकर उन्हें वहीं पर दफना दिया गया है। शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
- कुलबीर सिंह, थाना प्रभारी सांपला