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19 साल राजनीति से दूर रहा परिवार, अब सेठ मनमोहन लड़ेंगे मेयर का चुनाव

ओपी वशिष्ठ, रोहतक तीन बार विधायक और दो बार मंत्री रहे सेठ श्रीकिशनदास का परिवार 19

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 12:59 AM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 12:59 AM (IST)
19 साल राजनीति से दूर रहा परिवार, अब सेठ मनमोहन लड़ेंगे मेयर का चुनाव
19 साल राजनीति से दूर रहा परिवार, अब सेठ मनमोहन लड़ेंगे मेयर का चुनाव

ओपी वशिष्ठ, रोहतक

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तीन बार विधायक और दो बार मंत्री रहे सेठ श्रीकिशनदास का परिवार 19 साल तक राजनीति से दूर रहा। इतने लंबे अर्से के बाद उनके सुपुत्र 68 वर्षीय सेठ मनमोहन गोयल मेयर का सीधे चुनाव लड़ने जा रहे हैं। मनमोहन गोयल को भाजपा ने अपने ¨सबल पर चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया है। उन्होंने भाजपा के कई मजबूत दावेदारों को पीछे छोड़ते हुए यह टिकट हासिल की है। भाजपा ने गैर पंजाबी चेहरा मेयर के चुनाव में उतार कर जातीय समीकरण के चलते बड़ा दांव खेला है। वैश्य समाज को मेयर का टिकट देकर भाजपा ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के समीकरण बनाने का काम किया है।

बता दें कि दैनिक जागरण ने शनिवार के अंक में ही मनमोहन की टिकट को लेकर समाचार प्रकाशित कर दिया था। सूत्रों की मानें तो टिकट न मिलने से नाराज अन्य मजबूत दावेदारों को भी सरकार में कोई ओहदा देने का भरोसा दिया है। स्वर्गीय सेठ श्रीकिशनदास हरियाणा के चार बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय चौधरी बंसीलाल के खास थे। बंसीलाल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में सेठ श्रीकिशन दास तीन बार विधायक बने और उनको दो बार महत्वपूर्ण विभागों का मंत्री बनाया गया। आखिरी बार 1996 में बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी की सरकार में मंत्री बने थे। हरियाणा विकास पार्टी की सरकार 1999 में गिर गई। इसके बाद सेठ का परिवार सक्रिय राजनीति से दूर हो गया। हालांकि उनके पुत्र सेठ मनमोहन गोयल वैश्य एजुकेशन सोसायटी की राजनीति में रहें, लेकिन प्रदेश की राजनीति में सक्रियता नहीं दिखाई। मनमोहन गोयल का राजनीति में 2014 में नाम सामने आया, जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी से विधानसभा की टिकट मांगी। टिकट नहीं मिलने से क्षुब्ध उन्होंने कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भाजपा पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और शहरी विधानसभा सीट के लिए टिकट के लिए दावा प्रस्तुत किया। लेकिन मनमोहन को टिकट नहीं मिला और मनीष ग्रोवर यहां से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की। मनीष ग्रोवर अब राज्य के सहकारिता मंत्री भी हैं। मेयर के सीधे चुनाव की घोषणा होते ही कर दिया था दावा

मनमोहन गोयल ने मेयर के सीधे चुनाव की घोषणा के बाद से ही चुनाव लड़ने का दावा ठोंक दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने मैना पर्यटन केंद्र में बाकायदा प्रेसवार्ता बुलाकर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। चूंकि मनमोहन गोयल शहर का बड़ा चेहरा हैं, इसलिए उनकी दावेदारी को कमजोर नहीं माना गया। हालांकि जिला अध्यक्ष अजय बंसल, एडवोकेट रामचेत तायल, राजकमल उर्फ राजू सहगल ने भी मेयर के लिए दावेदारी की थी, जो भाजपा में बड़े नाम हैं। उद्योगपति नवीन ¨जदल के बहनोई हैं गोयल

पूर्व मंत्री स्वर्गीय ओमप्रकाश ¨जदल के मनमोहन गोयल दामाद हैं। नवीन ¨जदल के बहनोई होने के नाते प्रदेश की राजनीति में संबंध रखते हैं। बीकॉम, एमकॉम तक पढ़ाई करने के बाद बंगलुरू में उद्योग संभालने लगे। सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में भी इस परिवार की भागीदारी अधिक रहती है। सेठ श्रीकिशन को उनके दानी और अन्य सामाजिक व धार्मिक कार्यों के चलते पदमश्री की उपाधि भी दी गई थी। मनमोहन गोयल के एक पुत्र मधुर गोयल और तीन पुत्रियां हैं। बेटा मधुर गोयल अब बंगलुरू में उद्योग संभालते हैं।


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