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एनजीटी के आदेश पर शहर में सर्वे के बाद मिले 17 हजार पशु, चार दिन बाद होगा बड़ा फैसला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) के आदेश पर शहरी क्षेत्र में पालतू पशुओं का सर्वे कराया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 07:30 AM (IST)
एनजीटी के आदेश पर शहर में सर्वे के बाद मिले 17 हजार पशु, चार दिन बाद होगा बड़ा फैसला
एनजीटी के आदेश पर शहर में सर्वे के बाद मिले 17 हजार पशु, चार दिन बाद होगा बड़ा फैसला

अरुण शर्मा, रोहतक

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) के आदेश पर शहरी क्षेत्र में पालतू पशुओं का सर्वे कराया गया। अभी तक करीब 17 हजार पालतू पशुओं का सर्वे हो चुका है। अब अगले तीन-चार दिनों में एनजीटी के आगामी आदेशों पर सभी की निगाहें हैं। दरअसल, एनजीटी ने शहरों में गोबर और पशु प्रबंधन को लेकर रिपोर्ट तलब की थी। इसी के बाद शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने शहरी क्षेत्र में संचालित गोशालाओं, डेयरियों से लेकर पशु पालकों के यहां कुल पशुओं की संख्या का आंकलन करने को कहा गया। गोबर प्रबंधन के लिए यहां से नियमित निकलने वाले गोबर की क्षमता का पता करने को कहा।

गोबर प्रबंधन और पशु प्रबंधन के लिए एनजीटी ने बीते साल ही फैसला लिया था। इसमें नहरों के निकट या फिर रिहायशी क्षेत्रों से गोशालाओं को शिफ्ट करने के आदेश दिए गए थे। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने एनजीटी के आदेशों का हवाला देते हुए नगर निगम से पशुओं की संख्या का आंकलन करने को कहा। यही कारण रहा कि निगम आयुक्त प्रदीप गोदारा ने सभी 22 वार्डों में टीमों का गठन करके पशुओं के पंजीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी थी। हालांकि पशु प्रबंधन के लिए प्रति पशु प्रति माह 150 रुपये शुल्क रखने के मामले ने तूल पकड़ लिया था। इसी प्रकरण में अहम बैठक हो सकती है। मुख्यालय स्तर से महत्वपूर्ण आदेश फिर आदेशों का सख्ती से पालन कराने का मामला भी सामने आ सकता है। लोगों ने छुपा लिए पशु, पंजीकरण कराने का विकल्प खुला

निगम के सूत्रों का कहना है कि पंजीकरण कराने की कार्रवाई के दौरान पशु पालकों, डेयरी संचालकों व गोशाला संचालकों का पूरी तरह से सहयोग नहीं मिला। तमाम स्थानों पर पशु भी छुपा लिए। जानकारी भी नहीं दी। जिन्होंने पशुओं का पंजीकरण नहीं कराया है वह निगम की स्वास्थ्य शाखा में पहुंचकर पंजीकरण करा सकेंगे। विवाद के बाद जुर्माने व पशु जब्त का फैसला वापस

पशुपालकों के लिए सख्त नियम तय किए गए थे। नियमों का उल्लंघन करने वाले पशु पालकों के खिलाफ अधिनियम 1994 की धारा 195 ए, 273 दो और 309 वन व एच के तहत और इंडियन पैनल कोड 1860 की धारा 188 के तहत कार्रवाई व जुर्माने का फैसला हुआ था। झूठी जानकारी देने पर भी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। सर्वे के दौरान इन बिदुओं पर मांगी गई थी जानकारी

सर्वे के दौरान निगम की टीमों ने घर-घर पहुंचकर पंजीकरण करने कार्य किया। पशु रखने वालों को नाम, पता, प्रार्थना पत्र के साथ ही पिता का नाम भी फार्म भरवाया गया। पशुपालकों का की कालोनियों का पता भरवाया। मकान नंबर, वार्ड संख्या, क्षेत्र, पिन कोड नंबर, स्थाई पते की रिपोर्ट ली गई। मोबाइल नंबर, वाट्सएप नंबर, ई-मेल आइडी, प्रॉपर्टी टैक्स की प्रॉपर्टी आइडी का नंबर, बिजली के कनेक्शन का नंबर, पेयजल आपूर्ति और सीवरेज के कनेक्शन का भी नंबर बताना होगा। पशुओं की कुल संख्या, बैल, गाय, गाय के बछड़ा-बछड़ी का ब्योरा मांगा गया है। भैंस और उनके कटड़ा-कटड़ी या अन्य कोई घर में पशु पाला हुआ है तो उसका भी ब्योरा लिया गया। पशुओं से प्रतिदिन उपलब्ध होने वाला गोबर(प्रति किग्रा में) और पशु रखने के लिए उपलब्ध कुल जमीन(स्क्वेयर यार्ड) का ब्योरा भी लिया गया। एनजीटी के आदेश पर ही सरकार ने गोबर प्रबंधन और पशु प्रबंधन के लिए पालतू पशुओं के पंजीकरण करने के आदेश दिए थे। इस प्रकरण में अगले दो-चार दिनों के अंदर नए आदेश मिलने की संभावनाएं हैं। सरकार की तरफ से जो भी आदेश मिलेंगे उनकी पालना की जाएगी।

प्रदीप गोदारा, आयुक्त, नगर निगम


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