18 से 75 वर्ष के 15.10 करोड़ लोग करते हैं शराब का सेवन
विश्व स्तर पर 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति बोध दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय नशे के द्वारा पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में तथ्य सांझा करना एवं लोगों का जीवन बचाना है।
जागरण संवाददाता, रोहतक: विश्व स्तर पर 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति बोध दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय नशे के द्वारा पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में तथ्य सांझा करना एवं लोगों का जीवन बचाना है। यूनाइटेड नेशन्स आफिस आन ड्रग्स एंड क्राइम की वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में लगभग 26.9 करोड़ लोगों ने ड्रग्स का इस्तेमाल किया, जो 2009 की तुलना में 30 फीसद अधिक है। देश में सामाजिक न्याय एवम अधिकारिता मंत्रालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) के सहयोग से 2019 में भारत मे नशे के दुरुपयोग पर सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण के अनुसार 10 से 17 वर्ष आयु समूह के लगभग 1.48 करोड़ बच्चे और किशोर अल्कोहल, अफीम, कोकीन, भांग सहित कई तरह के नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। 18 से 75 वर्ष आयु वर्ग के 15.10 करोड़ लोगो मे शराब का सेवन पाया गया।
-शुरुआत का आनंद पड़ता है सेहत पर भारी
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान सीईओ डा. राजीव गुप्ता ने बताया कि चिकित्सा पद्धति के अतिरिक्त किसी भी मात्रा में आनंद की प्राप्ति के लिए ऐसे पदार्थ का सेवन करना जो हमारी शारीरिक व मानसिक क्रियाओं को क्षति पहुंचाता है नशा कहलाता है। तथा इनका प्रयोग नशीले पदार्थों का दुरुपयोग कहलाता है।
-नशे के दुष्प्रभाव
प्रोफेसर डा. प्रीति सिंह ने नशे के शारीरिक, मानसिक,सामाजिक व आर्थिक दुष्प्रभावों के बारे में बताया जैसे की फेफड़ों की बीमारी, ह्रदय रोग आघात,जिगर का बढ़ जाना,रक्त शुगर का बिगड़ना, याददाश्त कम हो जाना,मानसिक प्रभाव जैसे कि आत्मसम्मान का कम हो जाना, चिड़चिड़ापन रहना, तथा सामाजिक प्रभाव जैसे कि घर में लड़ाई रहना आत्महत्या आदि हैं।
-नशा प्रयोग करने वालों के मुख्य लक्षण
प्रोफेसर डा. पुरुषोत्तम ने बताया कि नशा प्रयोग करने वाले लोगो में कुछ मुख्य लक्षण होते हैं जैसे कि कार्य में मन न लगना,भूख न लगना, बात बात पर गुस्सा आना, नींद ना आना, आंखों का लाल रहना,व्यवहार में परिवर्तन, हाथों का कांपना, वजन घट जाना आदि हैं।
-²ढ निश्चय से छूट सकता है नशा
डा. सुनीला राठी ने ने बताया कि नशा छोड़ने के लिए मन में निश्चय करें। अन्य बीमारियों की तरह नशा भी एक शारीरिक और मानसिक बीमारी है, जिसका इलाज संभव है। उन्होंने बताया कि यदि कोई नशा करने का कहे तो उसे ²ढ़ मन से व सपष्ट मना करें। परिवार के लोग नशे की लत को छुड़ाने में सहायता करें।
वर्जन
स्टेट ड्रग डिपेंडिग ट्रीटमेंट सेंटर (एसडीडीटी) में विभिन्न नशा करने वाले मरीजों का इलाज किया जाता है। दवाइयों के साथ साथ काउंसलिग के द्वारा नशे से मुक्त किया जाता है। व्यवहारिक थैरेपी व पारिवारिक चिकित्सा के द्वारा मरीजों को स्वास्थ्य से जुड़ी जीवन की कार्यक्षमता को बढ़ाना व मरीजों को वापिस परिवार व समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाता है।
डा. विनय कुमार कोर्डिनेटर, एसडीडीटी, पीजीआइ रोहतक।