10 सालों में पीजीआइ में भर्ती होने वाले कैंसर मरीजों का अधिकारियों ने मांगा रिकॉर्ड
पुनीत शर्मा रोहतक कैंसर मरीजों का बीमा कराकर फर्जी तरीके से क्लेम लेने का मामला पीज
पुनीत शर्मा, रोहतक
कैंसर मरीजों का बीमा कराकर फर्जी तरीके से क्लेम लेने का मामला पीजीआइ से जुड़ने के बाद अब प्रबंधन भी हरकत में आया है। प्रबंधन ने सभी विभागों के अध्यक्षों को पत्र जारी करते हुए पिछले दस सालों में पीजीआइ में पहुंचे कैंसर मरीजों का ब्योरा मांगा है। इसके लिए तीन दिनों का समय अधिकारियों को दिया गया है। हालांकि निदेशक द्वारा अगर यह जानकारी एकत्रित करनी थी तो रिकॉर्ड रूम से भी मिल सकती थी, लेकिन सभी विभागों के अध्यक्षों को पत्र जारी करना चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर एक पूर्व अधिकारी समेत कुल आठ अधिकारी व कर्मचारियों के नाम घपले में सामने आ रहे हैं। हालांकि इनकी भूमिका को लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं हो सका है।
सोनीपत में एसटीएफ ने तीन आरोपितों को फर्जी बीमा क्लेम लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपितों ने कबूल किया था कि वह पीजीआइ समेत अन्य अस्पतालों से अंतिम स्टेज के कैंसर मरीजों का आंकड़ा लेकर उनसे संपर्क करते थे। इसके बाद वह उनका बीमा कराकर फर्जी तरीके से उनकी मौत को सड़क हादसा दर्शाते हुए क्लेम के लिए आवेदन कराते थे। जिसके बाद कंपनी द्वारा लाखों रुपये बतौर क्लेम दिया जाता था। जिसे वह निर्धारित दर में आपस में बांट लेते थे। पूरे मामले में खुलासे के बाद अब स्टेट क्राइम ब्रांच और एसटीएफ की रडार पर पीजीआइ के चिकित्सक और कर्मचारी भी आ गए हैं। जिसके चलते पीजीआइ प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है। अब पीजीआइ निदेशक ने सभी विभागों के अध्यक्षों को पत्र जारी करते हुए पिछले दस साल में आए कैंसर मरीजों का ब्योरा देने के निर्देश दिए गए हैं। तीन दिनों में ब्योरा न देने वाले विभागाध्यक्षों पर कार्रवाई की बात भी कही जा रही है। निदेशक द्वारा दी गई डेडलाइन 26 अप्रैल को समाप्त हो जाएगी। एक पूर्व अधिकारी समेत करीब आठ पर संशय
कैंसर मरीजों का फर्जी बीमा क्लेम लेने के मामले में करीब आठ अधिकारी व कर्मचारी फंसते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से एक अधिकारी पूर्व में बड़े पद पर भी तैनात रह चुका है। साथ ही बताया जा रहा है कि उक्त अधिकारी का गार्ड घोटाले में भी नाम सामने आया था। हालांकि बड़े-बड़े अधिकारियों से जान पहचान होने के चलते उसके खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा सकी थी। फर्जीवाड़ा सामने आने पर आई रिकॉर्ड की याद
कैंसर मरीजों का फर्जी तरीके से बीमा क्लेम लेने का खुलासा होने और आरोपितों द्वारा पीजीआइ से रिकॉर्ड जलवाने की बात करने पर अधिकारियों को रिकॉर्ड की याद आई है। जबकि समय-समय पर रिकॉर्ड की जांच की जाती रहनी चाहिए। बताया जा रहा है कि मरीजों का रिकॉर्ड दस वर्षों तक रखना अनिवार्य है। अधिकारियों ने आदेशों में भी फर्जीवाड़े को स्वीकार करने के बजाए लिखा है कि अखबारों में छपी खबर के अनुसार फर्जी बीमा क्लेम लेने और रिकॉर्ड जलाने का मामला प्रकाश में आया है।
सभी विभागाध्यक्षों को नोटिस जारी करते हुए तीन दिनों में कैंसर मरीजों का ब्योरा देने के निर्देश दिए हैं। ब्योरा लेने के बाद उसका रिकॉर्ड से मिलान किया जाएगा। इसके बाद ही कहा जा सकेगा कि कितनी फाइलें गायब हुई हैं।
डा. रोहताश यादव, निदेशक पीजीआइएमएस