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नर पक्षी पानी से भोजन निकाल खिलाता है मादा को

रेड क्रेस्टिड पोचर्ड को ¨हदी भाषा में लाल चोंच व लाल सिर वाली बतख के नाम से भी जाना जाता है। भारत में यह एक प्रवासी पक्षी है, जो सर्दियों में आते है। अपने प्रवास के दौरान ये एक समूह में रहती है तथा अन्य प्रवासी बतखों के साथ इकट्ठी रहती है। बतख की यह प्रजाति गोलाकार दिखाई देती है। इसके शरीर की लंबाई लगभग 53 से 57 सेंटीमीटर तक होती है। इनका सिर बड़ा होता है। नर व मादा एक दूसरे से रंग व आकार में भिन्न दिखाई देते है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 06:26 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 06:26 PM (IST)
नर पक्षी पानी से भोजन निकाल खिलाता है मादा को
नर पक्षी पानी से भोजन निकाल खिलाता है मादा को

प¨रदों की दुनिया: रेड क्रेस्टिड पोचर्ड

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लेख संकलन: सुंदर सांभरियां, ईडेन गार्डन रेवाड़ी।

परिवार: एनटिडी

जाति: नेट्टा

प्रजाति: रूफीना रेड क्रेस्टिड पोचर्ड को ¨हदी भाषा में लाल चोंच व लाल सिर वाली बत्तख के नाम से भी जाना जाता है। भारत में यह एक प्रवासी पक्षी है, जो सर्दियों में आते है। अपने प्रवास के दौरान ये एक समूह में रहती है तथा अन्य प्रवासी बत्तखों के साथ इकट्ठी रहती है। बत्तख की यह प्रजाति गोलाकार दिखाई देती है। इसके शरीर की लंबाई लगभग 53 से 57 सेंटीमीटर तक होती है। इनका सिर बड़ा होता है। नर व मादा एक दूसरे से रंग व आकार में भिन्न दिखाई देते है। एक व्यस्क नर का सिर गोलाकार संतरिया रंग का होता है। इसकी चोंच छोटी व लाल रंग की तथा छाती गहरे काले रंग की होती है। वहीं मादा पक्षी नर की बजाय आकार में थोड़ी छोटी व इसका रंग हल्का पीला-भूरा, शरीर का ऊपरी हिस्सा व सिर गहरे रंग के तथा चेहरा सफेद रंग का होता है। इसकी चोंच काले रंग की होती है। सुबह-शाम रहते है ज्यादा सक्रिय

बत्तखों की यह प्रजाति ज्यादातर समय पानी में या पानी के किनारे पर दिखती है। ये सुबह-शाम के समय ज्यादा सक्रिय होती है। इनका मुख्य भोजन जलीय वनस्पति की जड़ें, बीज व ऊपरी हिस्से की टहनियों व पत्ते होते है। कभी-कभी ये पानी में मिलने वाले छोटे कीटों, टैडपाल आदि को भी खा लेते है। ये पक्षी तैरते हुए डुबकी लगा कर जलीय वनस्पति को ऊपरी सतह पर लाकर खाते है। यह भी देखा जा सकता है कि ज्यादातर समय नर पक्षी पानी में डुबकी मारकर जलीय वनस्पति को बाहर लाता है तथा बाद में नर व मादा दोनों तैरते हुए इसे खा लेते है। सर्दियों के बाद लौटते है वापस

इस पक्षी के प्रजनन का समय भारत में सर्दियों के खत्म होने पर होता है। इस दौरान ये सभी पक्षी अपने प्रजनन क्षेत्रों में वापस चले जाते है। इनका प्रजनन दक्षिण यूरोप व मध्य एशिया के देशों में होता है। प्रजनन के दौरान नर व मादा पक्षी अपने क्षेत्रों के निचले व दलदली हिस्सों में एकत्रित हो जाते है। बाद में ये सभी जोड़े अलग-अलग होकर अपने घोंसले के लिए शांत व एकांत जगह ढूंढते है। नर व मादा दोनों मिल कर घोंसला बनाते है। घोंसला आमतौर पर बड़ी वनस्पति या झाड़ियों के नीचे छुपा कर बनाते है। घोंसले के आस-पास उपलब्ध घास, तिनके व अन्य वनस्पति का प्रयोग करते है। मादा 7 से 11 अंडे देती है। जब तक मादा पक्षी घोंसलों में अंडों को सेती है तब नर पक्षी आस-पास रह कर रक्षा करता है। इस पक्षी की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है, जिसका मुख्य कारण हेबीटॉट का सिकुड़ना तथा लोमड़ी, सांप या बाज द्वारा इनके अंडों को नुकसान पहुंचाना है।


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