आइजीयू के हजारों विद्यार्थियों को डिग्री का इंतजार
आइजीयू के लिए 23 जून का दिन खास मायने रखता है। आज से तीन साल पहले 23 जून 2017 को इस विश्वविद्यालय से रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के कॉलेज संबद्ध होने के साथ स्नातक और स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के हजारों विद्यार्थियों को रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के चक्कर काटने की परेशानियों से निजात मिलनी आरंभ हुई।
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी : मीरपुर स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय (आइजीयू) के लिए 23 जून का दिन खास मायने रखता है। तीन साल पहले 23 जून 2017 को इस विश्वविद्यालय से रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के कॉलेज संबद्ध हुए थे और स्नातक और स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के हजारों विद्यार्थियों को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के चक्कर काटने की परेशानी से निजात मिलनी आरंभ हुई थी, लेकिन रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ जिले के हजारों विद्यार्थियों को आज भी आइजीयू से डिग्री मिलने का इंतजार है।
नए सत्र में स्नातक अंतिम वर्ष के सभी विद्यार्थी भी आइजीयू के अधीन हो जाएंगे। आइजीयू वर्ष 2016 में अपना प्रथम दीक्षांत समारोह आयोजित कर चुका है। इसमें आइजीयू के ही शैक्षणिक सत्र 2015 व 2016 के चार सौ में से करीब 350 विद्यार्थियों को विभिन्न संकायों की उपाधियां (डिग्री) प्रदान की गईं थी, लेकिन इसके बाद से अभी तक किसी भी विद्यार्थी को डिग्री मुहैया नहीं कराई गई है। दिसंबर 2016 में हुआ था पहला दीक्षांत समारोह:
7 सितंबर 2013 को रीजनल सेंटर से विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद आइजीयू का प्रथम दीक्षांत समारोह हुआ था। यह समारोह 3 दिसंबर 2016 को तत्कालीन राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इसमें ही पहली बार डिग्री बांटी गई थी। इसके बाद यहां से हर साल सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी पास आउट होते हैं लेकिन उन्हें डिग्री तो दूर आधिकारिक डीएमसी (डिटेल मार्क्स सर्टिफिकेट) भी नहीं मिल रही है। अभी विद्यार्थी कंप्यूटर में जारी होने वाले परिणाम का प्रिटआउट निकालकर काम चला रहे हैं। कई खूबियां डाली थी डिग्री में:
आइजीयू की पहली बार तैयार की गई डिग्री सुरक्षा के लिहाज से खास थी। वाटर प्रूफ होने के साथ ही इसे तकनीकी रूप से सुरक्षित किया था। छपाई भी विशेष कागज पर थी। छह जिलों के कॉलेज संबद्ध करने की हुई थी घोषणा:
शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा ने अक्टूबर 2015 में आइजीयू के साथ रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ के साथ साथ छह जिलों के कॉलेज संबद्ध करने की घोषणा की थी लेकिन रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के 136 कॉलेज ही संबद्ध हो पाए। इनमें से बीएड के सेल्फ फाइनेंस कॉलेज आज भी संबद्ध नहीं हो पाए हैं।
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पहले क्या खामियां रहीं, क्यों विद्यार्थियों को डिग्री नहीं मिल पाई इसमें जाने के बजाय ठोस कार्ययोजना बनाकर भविष्य के लिए काम किया जा रहा है। इसके लिए कुलपति, कुलसचिव व संबंधित अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है। आने वाले दिनों में बेहतर व्यवस्था बनाने के साथ निर्धारित समय पर परिणाम और प्रमाणपत्र प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- प्रो. तेज सिंह, डीन, परीक्षा विभाग, आइजीयू
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