छोटी आगजनी कर सकती है बड़ी जनहानि
मुंबई के इएसआई अस्पताल में हुई आगजनी की घटना ने सुरक्षा की लचर व्यवस्था सामने आई है। यदि रेवाड़ी में भी इस प्रकार की घटना घटती है तो बहुत बड़ी चूक हो सकती है। आगजनी से निपटने को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर नजर आता नहीं दिख रहा है। जिला मुख्यालय के अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने निकले तो उसमें कई खामियां पाईं। नागरिक अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में सौ के करीब नए और पुराने आग बुझाने की मशीनें है लेकिन ज्यादातर पुराने हो चुके हैं जिनका जरूरत पड़ने पर उपयोग नहीं हो सकता। शहर का ट्रॉमा सेंटर जहां हमेशा आपातकाल में मरीज आते हैं। यहां 24 घंटे गंभीर रूप से घायल मरीजों की भीड़ लगी रहती है। उनकी सुरक्षा के लिए मात्र दो अग्निशमन यंत्र हैं जिनमें से एक की मियाद 21 सितंबर को समाप्त हो चुकी है। दूसरा आपातकाल कमरे के बाहर फर्श पर रखी है जिसे कोई भी उठाकर ले जा सकता है। आपातकालीन कमरे और मरीज वार्ड की सुरक्षा रामभरोसे है।
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी
मुंबई के ईएसआइसी अस्पताल जैसी आगजनी की छोटी सी घटना भी रेवाड़ी में बड़ी जनहानि कर सकती है। जिला मुख्यालय पर स्थित अस्पतालों में आग बुझाने के लचर इंतजाम इसका प्रमाण हैं। जिला मुख्यालय के ट्रॉमा सेंटर और नागरिक अस्पताल में आगजनी के हालात से निपटने के लिए उपलब्ध संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। नागरिक अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में सौ के करीब नए और पुराने अग्निरोधक मशीन जगह-जगह रखे हैं, लेकिन काफी समय से इनकी सुध नहीं ली गई। इस कारण बहुत सी मशीनों की एक्सपायरी डेट भी जा चुकी है।
शहर के ट्रॉमा सेंटर में हमेशा आपातकाल में गंभीर स्थिति के मरीज उपचार कराने आते हैं। यहां 24 घंटे गंभीर रूप से घायल मरीजों की भीड़ लगी रहती है। यहां मात्र दो अग्निरोधक मशीन हैं। हालांकि आगजनी की किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए मशीन में पानी, केमिकल फोम, सूखा पाउडर, हैलन और कार्बन डाईऑक्साइड गैस होती है और इनका इस्तेमाल एक साल के अंदर करना होता है, लेकिन अस्पताल में रखी दो अग्निरोधक मशीनों में से एक की मियाद 21 सितंबर को समाप्त हो चुकी है। दूसरी मशीन आपातकालीन कमरे के बाहर फर्श पर रखी है, जिसे कोई भी कहीं भी ले जा सकता है। नागरिक अस्पताल में शो पीस बना सेंट्रलाइज सिस्टम:
नागरिक अस्पताल को आगजनी की घटना से निपटने के लिए सेंट्रलाइज्ड सिस्टम लगाया हुआ है। पुराने और नए भवन को सेंट्रलाइज्ड तो कर दिया है, लेकिन यह सिस्टम कितना कारगर है, इसका अस्पताल प्रशासन को भी नहीं पता है। कारण ये कि अभी इसका ट्रॉयल ही नहीं किया गया है। करीब छह माह पहले पूरे परिसर को सेंट्रलाइज्ड फायर सिस्टम से जोड़ा गया है। आग बुझाने के पुराने सिलेंडरों में से कोई मई 2016 तो कोई सितंबर में एक्सपायर हो चुके हैं।
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पूरे अस्पताल परिसर को सेंट्रलाइज्ड फायर फाइ¨टग सिस्टम से युक्त किया हुआ है। ट्रॉमा सेंटर में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की जाएगी। जो मशीन एक्सपायरी हो चुकी हैं उसके बारे में संबंधित कर्मचारी से बातचीत कर स्थिति स्पष्ट की जाएगी। समय समय पर विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को आगजनी की स्थिति में निपटने के बारे में जागरूक किया जाता रहता है।
- डॉ. कृष्ण कुमार, सिविल सर्जन