Move to Jagran APP

देवउठनी पर 19 को 400 से ज्यादा शादियां

19 नवंबर के लिए न समारेाह स्थल खाली है और न ही धर्मशाला। जिलाभर में इस दिन 400 से अधिक शादियां हैं। चार माह के बाद 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही देव जागेंगे। देवउठनी एकादशी के साथ ही विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं जो अगले साल जुलाई तक रहेंगे..

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 07:52 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 07:52 PM (IST)
देवउठनी पर 19 को 400 से ज्यादा शादियां
देवउठनी पर 19 को 400 से ज्यादा शादियां

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: 19 नवंबर के लिए न समारोह स्थल खाली है और न ही धर्मशाला। जिलाभर में इस दिन 400 से अधिक शादियां हैं। चार माह के बाद 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही देव जागेंगे। देवउठनी एकादशी के साथ ही विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं जो अगले साल जुलाई तक रहेंगे। समारोह स्थल हर जगह बुक हैं और देवउठनी के अबूझ सावे पर इन्हें सजाने का सिलसिला जारी है।

loksabha election banner

देवउठनी एकादशी को अबूझ सावा माना जाता है। इस दिन तुलसी विवाह की परंपरा है। वहीं शादी व अन्य शुभ कार्यों के लिए भी इस एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की शादी तुलसी जी के साथ हुई थी। रेवाड़ी, कोसली, बावल व धारूहेड़ा सहित अन्य स्थानों पर जितने भी समारोह स्थल है वे सभी देवउठनी एकादशी के सावे के लिए बुक हैं। इसके साथ ही शहर व गांवों में जितनी भी धर्मशालाएं हैं उनको भी महीनों पहले ही बुक करा दिया गया था। एक अनुमान के मुताबिक इस दिन जिला में 400 के लगभग शादियां हैं। दिसंबर से जुलाई तक विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त :

दिसंबर 2018: 11,12,13 जनवरी: 17, 18, 22, 23, 25, 26, 29 फरवरी: 8, 9, 10, 19, 21 मार्च: 8, 9, 10 अप्रैल: 15, 16, 17, 19, 20, 22 मई: 7, 12, 13, 14, 15, 17, 18, 19, 23, 28, 29, 30 जून: 8,9, 10, 12, 15, 16, 24, 25 जुलाई: 7, 8, 10, 11 पंडित राजेश शर्मा के मुताबिक 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत हो जाएगी, जो 14 जनवरी तक रहेगा। इन सब स्थितियों के कारण 17 जनवरी से श्रेष्ठ मुहूर्त शुरू होंगे। इन तिथि में मांगलिक कार्य करना शुभ रहेगा। शर्मा के अनुसार पंचांग के अनुसार देवउठनी का विवाह मुहूर्त नहीं है क्योंकि इस समय शुक्र ग्रह अस्त है। चूंकि देवउठनी एकादशी का सावा लोकप्रसिद्ध यानि अबूझ होता है इसलिए इसमें शादी की जा सकती हैं। बैंड, फूल व घोड़ी की अग्रिम बु¨कग:

देवउठनी एकादशी के लोकप्रसिद्ध सावे पर बंपर शादियों के मद्देनजर बैंड, फूल व घोड़ी की अग्रिम बु¨कग हो चुकी है। बैंडवालों ने चार महीने के बाद अपने साजों को धूप दिखाना और अभ्यास करना शुरू कर दिया है वहीं घोड़ी वाले एक ही दिन में निकासी की कई बु¨कग होने के कारण समय प्रबंधन की तैयारी में जुटे हैं। कमोबेश यही हाल फूल वालों का हैं। फूलों की मांग ज्यादा होने से बाहर से फूल मंगवाने की तैयारी की जा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.