मसानी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए 361.40 लाख मंजूर
उपायुक्त यशेंद्र सिंह ने बताया कि जिले में बोहतवास अहीर गंगायचा अहीर व रतनथल में नवंबर माह में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शुरू हो जाएंगे इसके लिए सरकार द्वारा बजट मिल चुका है।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: गांव मसानी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए 361.40 लाख रुपये मंजूर हुए हैं। मुख्यमंत्री द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का शिलान्यास किया जा चुका है।
उपायुक्त यशेंद्र सिंह ने बताया कि जिले में बोहतवास अहीर, गंगायचा अहीर व रतनथल में नवंबर माह में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शुरू हो जाएंगे, इसके लिए सरकार द्वारा बजट मिल चुका है। उपायुक्त ने बताया कि जिले में धारूहेड़ा, भाड़ावास व फतेहपुरी पीएचसी को एनक्यूएएस के प्रमाण पत्र मिलने के बाद पीएचसी बासदूधा व डहीना को भी इसी वर्ष में इसके लिए तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि एनक्यूएएस द्वारा चयन करने पर प्रथम पुरस्कार 5 लाख रुपये व एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है तथा यह राशि स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च की जाती है।
उपायुक्त ने बताया कि जिले में एक सामान्य अस्पताल, कोसली में सब-डिवीजन अस्पताल, पांच सीएचसी (बावल, खोल, मीरपुर, गुरावड़ा व नाहड़) तथा 15 पीएचसी संचालित हैं। इसके अतिरिक्त तीन अर्बन पीएचसी (राजीव नगर, कुतुबपुर व आकेड़ा) में भी है। जिले में एक ट्रामा सेंटर भी संचालित है।
उपायुक्त ने बताया कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानदंड(एनक्यूएएस) कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार की टीम द्वारा जिले की धारूहेड़ा, फतेहपुरी व भाड़ावास पीएचसी को एनक्यूएएस प्रमाण-पत्र मिल चुका है तथा एनक्यूएएस कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार की टीम द्वारा डहीना व बासदूधा की पीएचसी में उपलब्ध सुविधाओं की भी जानकारी ली गई है। इन पीएचसी को भी इस वर्ष एनक्यूएएस प्रमाण-पत्र मिलने की उम्मीद है।
एनक्यूएएस के तहत पीएचसी का मूल्यांकन किया जाता है। पीएचसी की आधारित रचना, मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं, दवाइयों व अन्य साधनों की उपलब्धता, स्टाफ का व्यवहार, क्षमता व दक्षता, इंफेक्शन से बचाव के उपाय व बंदोबस्त, पीएचसी में बिजली, पानी, सुरक्षा, पार्किंग इत्यादि सुविधाओं की व्यवस्था, पीएचसी की सफाई, अस्पताल में मरीजों का रिकार्ड व रख-रखाव के साथ-साथ पीएचसी की सुविधाओं को आधार मानकर गुणवत्ता निर्धारित की जाती है।
केंद्रीय टीम निर्धारित मापदंडों के तहत मूल्यांकन करके भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजती है, 70 प्रतिशत अंक प्राप्त करने बाद राष्ट्रीय स्तरीय प्रमाण पत्र जारी करती है।