25 घंटे का चक्का जाम, 5 बजे खुली हड़ताल
एस्मा के बावजूद रोडवेज कर्मचारियों ने 25 घंटे तक बसों के पहिये थामे रखे। हालांकि इस बार कर्मचारियों की हड़ताल में वो धार नजर नहीं आई जो हर बार रहती थी। प्रशासन व पुलिस कहीं न कहीं कर्मचारियों पर हावी रहे जिसके चलते बुधवार शाम को 5 बजे ही कर्मचारियों को अपनी हड़ताल खोलनी पड़ी। हड़ताल को खुलवाने के लिए कर्मचारियों को थाने तक ले जाया गया तथा वहीं पर उनसे बातचीत की गई। आखिरकार बातचीत से बात बन गई और प्रशासन ने भी राहत की सांस ली। वहीं एस्मा का उल्लंघन करने पर रोडवेज जीएम की तरफ से 14 कर्मचारियों पर शहर थाना में मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। निजी बसों को चलाया गया।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी :
एस्मा के बावजूद रोडवेज कर्मचारियों ने 25 घंटे तक बसों के पहिये थामे रखे। हालांकि, इस बार कर्मचारियों की हड़ताल में वो धार नजर नहीं आई, जो हर बार रहती थी। प्रशासन व पुलिस कहीं न कहीं कर्मचारियों पर हावी रहे, जिसके चलते बुधवार शाम को 5 बजे ही कर्मचारियों को अपनी हड़ताल खोलनी पड़ी। हड़ताल को खुलवाने के लिए कर्मचारियों को थाने तक ले जाया गया और वहीं पर उनसे बातचीत की गई। आखिरकार बातचीत से बात बन गई और प्रशासन ने भी राहत की सांस ली। वहीं एस्मा का उल्लंघन करने पर रोडवेज जीएम की तरफ से 14 कर्मचारियों पर शहर थाना में मुकदमा दर्ज कराया गया है। निजी बसों को चलाया गया बस स्टैंड बूथ से
720 बसों को हॉयर करने के सरकार के निर्णय के विरोध में रोडवेज कर्मचारियों ने चक्का जाम किया था। मंगलवार शाम को 4 बजे ही बसों को वर्कशॉप व बस स्टैंड के भीतर खड़ी करके कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। चक्का जाम करते ही प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक उपायुक्त अशोक कुमार शर्मा व एसपी राजेश दुग्गल की अध्यक्षता में हुई, जिसमें प्राइवेट वाहनों को सवारियां बैठाने के लिए अधिकृत कर दिया था। बुधवार सुबह से ही प्रशासन के इस निर्णय का असर भी नजर आया। रोडवेज बसों के पहिये थमे हुए थे, इसलिए निजी बसों को बस स्टैंड के अंदर बूथों पर ही लगा दिया गया। इसके साथ ही आंबेडकर चौक व महाराणा प्रताप चौक से भी सवारियों को निजी बसों में बैठाया जा रहा था। 12 बसें लगाई गई थी पुलिस लाइन में
हड़ताल की स्थिति को देखते हुए रोडवेज महाप्रबंधक की ओर से 12 बसे पहले ही पुलिस लाइन में लगवा दी गई थी। इन बसों को बुधवार सुबह से ही गुरुग्राम, कोसली, नारनौल व महेंद्रगढ़ आदि रूटों पर चलाया गया। हालांकि दोपहर बाद रोडवेज अधिकारियों की ओर से दावा किया गया कि 25 बसों को ऑन रूट कर दिया गया है।
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डीसी व एसपी ने लिया यातायात व्यवस्था का जायजा
उपायुक्त अशोक कुमार शर्मा व पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार दुग्गल लगातार हड़ताल पर नजर बनाए हुए थे। बुधवार सुबह दोनों आला अधिकारी शहर में निकले तथा यातायात व्यवस्था का जायजा लिया। दोनों अधिकारियों ने सामान्य बस स्टैंड व रोड़वेज कार्यशाला में जाकर स्थिति की जानकारी ली। उपायुक्त शर्मा ने सामान्य बस अड्डे पर निजी बस चालकों से भी बातचीत की तथा उन्हें बस स्टैंड के अंदर से ही सवारियों को बैठाने के लिए कहा ताकि आम आदमी को परेशानी न हो। उन्होंने सवारियों से भी बातचीत की तो उन्होंने भी बताया कि निजी बसें चलने से काफी हद तक राहत मिली है।
----------------- थाने ले जाए गए कर्मचारी बातचीत के बाद खुली हड़ताल
हड़ताल पर बैठे रोडवेज कर्मचारियों को पुलिस की ओर से कहा गया कि वे या तो बस चलाए या फिर थाने चले। रोडवेज कर्मी बस नहीं चलाने की बात पर अड़े रहे जिसके बाद हड़ताल पर बैठे 60 कर्मचारियों को सदर थाने में ले जाया गया। बाद में 50 के लगभग और कर्मचारी भी सदर थाने में पहुंच गए। सदर थाने में एसडीएम जितेंद्र गांधी, रोडवेज महाप्रबंधक बलवंत ¨सह गोदारा, तहसीलदार मनमोहन, डीएसपी सतपाल ¨सह व डीएसपी गजेंद्र ¨सह पहुंचे तथा कर्मचारियों को हड़ताल खोलने के लिए कहा। कर्मचारियों ने एस्मा के तहत दर्ज किए गए मुकदमें को रद्द करने की बात कही। इसपर अधिकारियों की ओर से कहा गया कि सरकार कर्मचारियों की मांगों को लेकर शीघ्र ही बात करेगी। आपसी बातचीत के बाद आखिरकार कर्मचारियों ने 5 बजे बसों की हड़ताल खोल दी।
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हमने हड़ताल के असर को व्यापक स्तर पर नहीं होने दिया। सुबह से ही 12 बसों को ऑन रूट कर दिया गया था। हमारे पास 40 ड्राइवर थे जिनसे बसों को चलवाया गया। दोपहर तक 25 बसें ऑन रूट कर दी गई थी। रोडवेज कर्मचारियों से बातचीत करके शाम 5 बजे हड़ताल पूरी तरह से खुलवा दी गई। मुकदमा दर्ज कराने का निर्णय सरकार का है तथा इन्हें वापस लेने का निर्णय भी सरकार के स्तर पर ही होना है। रेवाड़ी डिपो की प्रतिदिन 12 लाख रुपए की आमदनी हैं और खर्च 12 लाख रुपए से कुछ अधिक है, लेकिन बात आर्थिक लाभ-हानि कि नहीं बल्कि लोगों को हो रही भारी असुविधा की थी। कर्मचारी संगठनों को मुसाफिरों की समस्याओं को देखना चाहिए।
-बलवंत ¨सह गोदारा, महाप्रबंधक रोडवेज
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हम अपने निजी हितों के लिए हड़ताल नहीं कर रहे थे बल्कि रोडवेज का निजीकरण होने से रोकने के लिए हम संघर्ष कर रहे हैं। सरकार 720 बसों को हॉयर कर रही है जबकि हम चाहते हैं कि सरकार नई बसें खरीदकर रोडवेज के बेड़े में शामिल करे। सरकार कर्मचारियों को किसी भी कीमत पर दबा नहीं सकती। शीघ्र बातचीत से मामला नहीं सुलझा तो निश्चित तौर पर बड़ा आंदोलन होगा।
-बाबूलाल यादव, प्रदेशाध्यक्ष हरियाणा परिवहन कर्मचारी संघ।
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रोडवेज कर्मचारियों पर सरकार किसी भी तरह की सख्त कार्रवाई करती है तो निश्चित तौर पर विरोध होगा। हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड यूनियन कर्मचारियों पर किसी भी तरह के अत्याचार को सहन नहीं करेगी। यूनियन रोडवेज कर्मचारियों के पूरी तरह से साथ है।
-कंवर ¨सह यादव, प्रदेशाध्यक्ष एचएसईबी
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इनसेट:
कोसली में चलती रही झज्जर डिपो की बसें
कोसली बस स्टैंड में भी हड़ताल का असर रहा लेकिन झज्जर डिपो की बसों के चलते रहने से सवारियों को ज्यादा परेशानी नहीं झेलनी पड़ी। झज्जर-कोसली के बीच रोडवेज बस सेवा लगातार जारी थी। वहीं रेवाड़ी से भी दो बसें कोसली पहुंची थी लेकिन इन बसों में परिचालक नहीं थे।