मरने के बाद भी दुनिया देखेगे 'महाशय'
महाशय जी चले गए लेकिन उनकी आंखे संसार को देखती रहेंगी। शहर की नई बस्ती के रहने वाले सुप्रसिद्ध व्यापारी किशन चंद्र भल्ला ने अपने प्राण त्यागते समय परिवार के समक्ष एक ही अंतिम इच्छा रखी थी कि संसार को अलविदा कहने के बाद उनकी आंखें दान कर दी जाए। जागरण संवाददाता रेवाड़ी महाशय जी चले गए लेकिन उनकी आंखे संसार को देखती रहेंगी। शह
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी महाशय जी चले गए लेकिन उनकी आंखे संसार को देखती रहेंगी। शहर की नई बस्ती के रहने वाले सुप्रसिद्ध व्यापारी किशन चंद्र भल्ला ने अपने प्राण त्यागते समय परिवार के समक्ष एक ही अंतिम इच्छा रखी थी कि संसार को अलविदा कहने के बाद उनकी आंखें दान कर दी जाए। मंगलवार अल सुबह किशन चंद्र ने प्राण त्याग दिए, जिसके पश्चात स्वजन ने चिकित्सकों की टीम को बुलवाकर उनकी आंखों को दान कर दिया। किशन चंद्र की आंखें एक दो दिन में ही किसी नेत्रहीन के जीवन को रोशन करेंगी। तीन बेटों को देखा आंखों के सामने जाते हुए शहर की नई बस्ती के रहने वाले 96 वर्षीय किशन चंद्र भल्ला का जीवन संघर्षों से भरा हुआ बेशक रहा लेकिन सामाजिक कार्यों के प्रति उनकी निष्ठा कभी कम नहीं हुई। बारा हजारी में उनकी घी की दुकान थी और बाजार के लोग उन्हें महाशय जी के नाम से ही जानते थे। चार में से तीन बेटों को अपनी आंखों के सामने गंवाने के बाद भी उन्होंने परिवार को एकसूत्र में बांधकर रखा। किशन चंद्र चाहते थे कि उनके शरीर का एक-एक अंग दान कर दिया जाए ताकि किसी जरूरतमंद को जीवन मिल सके। उनके पोते दीपक भल्ला व पंकज भल्ला बताते हैं कि देह दान का फार्म भी वह ले आए थे लेकिन उसकी शर्ते ही इतनी अधिक थी, जो पूरी नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि लाला जी (किशन चंद्र भल्ला) ने मरने से कुछ घड़ी पहले ही स्वजन को बुलाकर कहा था कि वह देह दान नहीं कर पाए लेकिन आंखें जरूर दान करना चाहते हैं। स्वजन को अपनी अंतिम इच्छा बताने के बाद ही उन्होंने मंगलवार सुबह करीब 4 बजे दम तोड़ दिया था। स्वजन ने बुलाए चिकित्सक किशन चंद्र भल्ला की मृत्यु के पश्चात परिवार के लोगों ने नागरिक अस्पताल में नेत्र विभाग की प्रमुख डा. कंचन यादव से फोन पर संपर्क किया। सूचना मिलने के बाद नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. पूनम, नेत्रदान काउंसलर अंकित, लैब टेक्नीशियन रवि युसूफ, ओटी असिस्टेंट नवीन व हरि सिंह की टीम उनके आवास पर पहुंची तथा स्व. किशन चंद्र भल्ला की दोनों आंखों का आपरेशन करके सुरक्षित निकाला गया। ------------- स्व. किशन चंद्र भल्ला के स्वजन की अनुमति से उनकी आंखें ली गई हैं। दोनों आंखें ठीक हैं तथा किसी के जीवन को रोशन कर सकती हैं। आंखों को विशेष प्रक्रिया के तहत प्रिजर्व करके रखा गया है तथा 2 से 3 दिन के भीतर ही पीजीआइ रोहतक में इनको किसी नेत्रहीन को ट्रांसप्लांट किया जाएगा।
-डा. पूनम, नेत्र रोग विशेषज्ञ