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आयोग ने कहा: पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव संभव

-निर्वाचन आयोग ने दो पार्षदों की याचिका का निपटारा करते हुए मुख्य सचिव को पत्र भेजकर मांगा वैधानिक परामर्श -हाईकोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग का खटखटाया गया था दरवाजा जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: नगर परिषद के चुनावों का पेंच लगातार फंसता जा रहा है। अब ताजा हड़कंप निर्वाचन आयोग के प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र से मचा है। दो पार्षदों द्वारा निर्वाचन आयोग के पास लगाई गई याचिका का निपटारा करते हुए निर्वाचन आयोग की तरफ से यह पत्र लिखा गया है। भेजे गए पत्र में आयोग ने प्रदेश सरकार से चुनाव पुरानी वार्डबंदी से ही कराने की सिफारिश की है। इसको लेकर वैधानिक परामर्श भी सरकार से मांगा गया है। निर्वाचन आयोग की इस चिट्ठी से जहां याचिकाकर्ताओं में खुशी है वहीं विरोधी पार्षदों का क

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 08:10 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 08:10 PM (IST)
आयोग ने कहा: पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव संभव
आयोग ने कहा: पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव संभव

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : नगर परिषद के चुनावों का पेंच लगातार फंसता जा रहा है। अब ताजा हड़कंप निर्वाचन आयोग के प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र से मचा है। दो पार्षदों द्वारा निर्वाचन आयोग के पास लगाई गई याचिका का निपटारा करते हुए निर्वाचन आयोग की तरफ से यह पत्र लिखा गया है। भेजे गए पत्र में आयोग ने प्रदेश सरकार से चुनाव पुरानी वार्डबंदी से ही कराने की सिफारिश की है। इसको लेकर वैधानिक परामर्श भी सरकार से मांगा गया है। निर्वाचन आयोग की इस चिट्ठी से जहां याचिकाकर्ताओं में खुशी है, वहीं विरोधी पार्षदों का कहना है कि पुरानी वार्डबंदी से चुनाव किसी भी कीमत पर संभव नहीं है। चुनाव में हो रही बेवजह देरी

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नगर परिषद के दो पूर्व पार्षदों ने नपा चुनाव पुरानी वार्डबंदी से ही कराने की याचिका पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को पहले राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष गुहार लगाने के सलाह दी थी। जिस पर याचिकाकर्ता पूर्व पार्षद दिलीप माटा व अशोक राव ने अपने वकील मुकेश वर्मा के जरिए एक याचिका, मुख्य निर्वाचन आयुक्त के समक्ष दायर की थी। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए सहायक निर्वाचन आयुक्त परमाल ¨सह की ओर से एक पत्र हरियाणा सरकार को प्रेषित किया गया है। प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को भेजे पत्र में नगर परिषद संशोधित अधिनियम की धारा 3ए का हवाला देते हुए कहा गया है कि नई वार्डबंदी के कारण रेवाड़ी नगर परिषद के चुनाव कराने में देरी हो रही है और संवैधानिक वैद्यता को देखते हुए चुनाव शीघ्र कराए जाने जरूरी है। साथ ही यह भी कहा गया है कि पुरानी वार्डबंदी से चुनाव कराया जाने से अनावश्यक देरी से बचा जा सकता है। इसके साथ ही ऐसा ना करने पर कानूनी अड़चन या कोर्ट में मामला चले जाने से काफी लंबा मामला ¨खच जाएगा। इस पूरे मामले में प्रदेश सरकार से पुरानी वार्ड बंदी से ही चुनाव कराए जाने की सहमति मांगी है। यहां यह बता दें कि रेवाड़ी नगर परिषद के चुनाव प्रदेश की अन्य 18 नगर परिषद व नगर पालिकाओं के साथ ही होने थे, लेकिन नई वार्ड बंदी को लेकर मामला उलझ गया और यह मामला उच्च न्यायालय तक पहुंच गया। नई वार्डबंदी का नहीं हुआ नोटिफिकेशन

चुनाव आयोग ने इस बात की ओर भी संकेत किया है कि नगर परिषद की ओर से अभी तक नई वार्डबंदी के संबंध में कोई नया नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। ऐसे में एक मात्र विकल्प पुरानी वार्डबंदी से चुनाव कराना ही रह जाता है। इसके अलावा इस पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि नगर परिषद रेवाड़ी की ओर से आरक्षित वार्ड के संबंध में अभी तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। अब सरकार के पाले में गेंद

निर्वाचन आयोग की तरफ से पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन विशेषज्ञों की माने तो अभी यह पूरी तरह से स्प्ष्ट नहीं है कि चुनाव पुरानी वार्डबंदी से ही होंगे। इस मामले में सरकार को अंतिम निर्णय लेना है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग की इस मांग पर सरकार की ओर से क्या जवाब दिया जाता है।

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निर्वाचन आयोग ने एक तरह से अपना निर्णय सुना दिया है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि इन परिस्थितियों में पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव संभव है। ऐसे में अब सरकार को भी अडियल रूख अपनाने की बजाय पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव कराने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो निश्चित तौर पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

-अशोक राव, पूर्व पार्षद व याचिकाकर्ता।

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चुनाव नई वार्डबंदी से होंगे या पुरानी वार्डबंदी से इस बात का निर्णय सरकार को ही लेना है। याचिका लगाने वालों ने निर्वाचन आयोग से तथ्यों को छिपाया है। हाईकोर्ट पहले ही 6 वार्ड आरक्षित करने का निर्णय दे चुका है तथा शहर का दायरा भी बढ़ चुका है। वहीं निर्वाचन आयोग ने भी वार्ड आरक्षित करने का निर्णय लेने के बारे में कहा है। ऐसे में पुरानी वार्डबंदी से तो चुनाव हो ही नहीं सकते। इन तथ्यों को याचिकाकर्ताओं ने बताया ही नहीं। नई वार्डबंदी से चुनाव कराने में कोई देरी नहीं होगी।

-विजय राव, पूर्व पार्षद व नई वार्डबंदी कमेटी सदस्य।


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