प्रॉपर्टी टैक्स से ज्यादा हो गया ब्याज
प्रोपर्टी टैक्स। इस नाम ने आजकल शहर के लोगों के पसीने छुड़ाए हुए हैं। पसीने छूटे भी क्यों न, भारी भरकम टैक्स जो नगर परिषद ने मांग लिया है। प्रोपर्टी टैक्स के जो नोटिस लोगों को मिल रहे हैं उनमें कुछ ऐसे भी हैं जिनमें टैक्स से ज्यादा ब्याज मांग लिया गया है। यहां बता दें कि सालों तक प्रोपर्टी टैक्स के नोटिस नगर परिषद ने जारी नहीं किए और अब ब्याज आम लोगों से वसूल किया जा रहा है। हाल ही में शहर के दो-तीन वार्डों में प्रोपर्टी टैक्स के जो नोटिस दिए गए है उनको देखकर साफ है कि टैक्स में किस तरह से जमकर खेल हुआ है।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी :
प्रॉपर्टी टैक्स। इस नाम ने आजकल शहर के लोगों के पसीने छुड़ाए हुए हैं। पसीने छूटे भी क्यों न, भारी भरकम टैक्स जो नगर परिषद ने मांग लिया है। प्रॉपर्टी टैक्स के जो नोटिस लोगों को मिल रहे हैं, उनमें कुछ ऐसे भी हैं जिनमें टैक्स से ज्यादा ब्याज मांग लिया गया है। यहां बता दें कि सालों तक प्रॉपर्टी टैक्स के नोटिस नगर परिषद ने जारी नहीं किए और अब ब्याज आम लोगों से वसूल किया जा रहा है। हाल ही में शहर के दो-तीन वार्डों में प्रॉपर्टी टैक्स के जो नोटिस दिए गए है उनको देखकर साफ है कि टैक्स में किस तरह से जमकर खेल हुआ है। पहले भरने के बावजूद भी दिया टैक्स का नोटिस
शहर के वार्ड नंबर तीन निवासी उमेद ¨सह ने अपनी दुकान व घर एक साथ ही बनाया हुआ है। हाल ही में उमेद ¨सह के यहां प्रॉपर्टी टैक्स का नोटिस पहुंचा तो परिवार के लोगों के माथे पर पसीना आ गया। सीधे ही 19 हजार रुपये का प्रॉपर्टी टैक्स मांग लिया गया। 2010 से 2018 तक के टैक्स का नोटिस मिलने के बाद उमेद ¨सह के परिवार के लोगों ने कागज खंगाले तो सामने आया कि 2016 तक का टैक्स तो उन्होंने पहले ही नगर परिषद में जमा कराया हुआ है। नप में जाकर जब बताया गया कि टैक्स तो उन्होंने पहले ही भर रखा है तो टैक्स कुछ कम कर दिया गया। कम करने के बाद भी 3 हजार रुपये जहां प्रॉपर्टी टैक्स लगाया गया वहीं 5 हजार रुपये का ब्याज लगा दिया गया। उमेद ¨सह के बेटे उमेश का कहना है कि प्रॉपर्टी टैक्स और ब्याज किस हिसाब से लगाया जा रहा है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही। ऐसे एक नहीं कई और उदाहरण सामने आ रहे हैं। न सर्वे पब्लिश कराया और न ही दी जानकारी
नगर परिषद के पूर्व चेयरपर्सन विनीता पीपल का कहना है कि प्रॉपर्टी टैक्स नोटिस भेजने से पूर्व जो सर्वे संबंधित एजेंसी से कराया गया है उसको पब्लिश कराना चाहिए था ताकि लोगों को इसके बारे में जानकारी मिल सके तथा वे अपनी आपत्तियां दूर करा सके। नप अधिकारियों ने ऐसा किया ही नहीं। इसके साथ ही टैक्स किस हिसाब से लिया जाएगा इसकी भी जानकारी नहीं दी गई। मनमर्जी से टैक्स बनाया जा रहा है। लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है। यह प्रॉपर्टी टैक्स नहीं बड़ा गोलमाल हो रहा है।
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प्रॉपर्टी टैक्स की तमाम खामियों को दूर करने का काम किया जाएगा। सर्वे एजेंसी को भी इस बाबत स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं। नोटिस वितरण भी तेज कर दिया गया है।
-अजय सिक्का, कार्यकारी ईओ नप।