निजी स्कूल संचालक तीन को करेंगे हड़ताल
जिला के सौ से अधिक निजी स्कूल संचालक 3 मई को हड़ताल पर रहेंगे। शिक्षा नियम 134ए के तहत दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को पढ़ाने का भुगतान करने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत दिल्ली या राजस्थान सरकार की तर्ज पर देने सहित विभिन्न मांगों को लेकर स्कूल संचालक प्रदर्शन करेंगे। इस संबंध में राज इंटरनेशनल स्कूल में केंद्रीय माध्यमिक व हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूल संचालकों की बैठक हुई। प्रधान डॉ. सूर्यकमल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्य रूप से 11 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : जिले के सौ से अधिक निजी स्कूल संचालक 3 मई को हड़ताल पर रहेंगे। शिक्षा नियम 134ए के तहत दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को पढ़ाने का भुगतान करने, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत दिल्ली या राजस्थान सरकार की तर्ज पर देने सहित विभिन्न मांगों को लेकर स्कूल संचालक प्रदर्शन करेंगे। इस संबंध में राज इंटरनेशनल स्कूल में केंद्रीय माध्यमिक व हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूल संचालकों की बैठक हुई। प्रधान डॉ. सूर्यकमल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्य रूप से 11 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया। इनमें नियम 134ए के बच्चों का निश्शुल्क दाखिला करेंगे लेकिन यदि सरकार ने मई तक पिछले सत्र के विद्यार्थियों का भुगतान नहीं किया तो जुलाई में पिछले साल के साथ इस वर्ष दाखिला लेने वाले बच्चों का भी नाम काटे जाएंगे।
अपात्र लोगों ने बीपीएल और गरीब प्रमाण पत्र बनाकर दुरुपयोग कर रहे हैं। ऐसे लोगों पर निजी स्कूलों की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।
नियम 134ए वाले विद्यार्थियों से ट्यूशन फीस एवं वार्षिक खर्चों के अलावा छठी, नौवीं व ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश शुल्क व फंड्स जो सरकार लेती है वे इन बच्चों से भी लिये जाएंगे। इसके अलावा विशेष कोर्स की कक्षाओं में बच्चे पढ़ना चाहते हैं तो अभिभावकों को अतिरिक्त शुल्क देना होगा। नियम 134ए में स्कूल बसें देने के लिए बाध्य नहीं है।
सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों की मान्यता की प्रतियों में प्री प्राइमरी की स्थायी मान्यता का उल्लेख है तो अलग से प्ले स्कूल की अस्थाई मान्यता लेने का कोई आधार नहीं है। जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग द्वारा 23 अप्रैल को जारी पत्र अनुसार आठवीं से 12वीं कक्षा के 160 रुपये प्रति छात्र जमा कराने का फरमान वापस लिया जाए। स्कूल संचालकों का कहना था कि इससे अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ता है। स्कूल बसों पर लगाया टैक्स वापस हो:
बैठक में निर्णय लिया गया कि स्कूल बसों पर लगाये टैक्स वापस लेने के लिए सरकार से बातचीत की जाएगी। स्कूलों को बसों से कोषलाभ नहीं होता, केवल अभिभावकों व बच्चों को परेशानी से बचने के लिए कम फीस लेकर सुविधा प्रदान करते हैं। दस वर्ष पुराने स्थायी मान्यता प्राप्त स्कूलों को फिर से मान्यता लेने का कोई औचित्य नहीं है। नियमों का सरलीकरण कर स्वत: नवीनीकरण होना चाहिए। बैठक में विभिन्न स्कूलों के मुखिया व प्रतिनिधि शामिल थे।