असंगठित श्रमिकों को लाभ देने के नाम पर शुरू हुआ खेल
कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन की वजह से अपने घर बैठ गए असंगठित श्रमिकों को लाभ देने के लिए सरकार की ओर शुरू की गई योजना के नाम पर जमकर खेल हो रहा है। आम लोगों तक सही व सटीक जानकारी पहुंचाने की जिम्मेदारी श्रम विभाग की थी लेकिन विभागीय अधिकारी पल्ला झाड़ रहे हैं। फार्म भरने के नाम पर जो कॉमन सर्विस सेंटर खुले हुए हैं वहां अपात्र लोगों के भी फार्म भरकर मोटी चांदी कूटी जा रही है।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन की वजह से अपने घर बैठ गए असंगठित श्रमिकों को लाभ देने के लिए सरकार की ओर शुरू की गई योजना के नाम पर जमकर खेल हो रहा है। आम लोगों तक सही व सटीक जानकारी पहुंचाने की जिम्मेदारी श्रम विभाग की थी लेकिन विभागीय अधिकारी पल्ला झाड़ रहे हैं। फार्म भरने के नाम पर जो कॉमन सर्विस सेंटर खुले हुए हैं वहां अपात्र लोगों के भी फार्म भरकर मोटी चांदी कूटी जा रही है। वहीं पार्षद मदद दिलाने के नाम पर खुद की राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। इन हालातों में जल्दी ही प्रशासन की तरफ से कोई उचित कदम नहीं उठाया गया तो लॉकडाउन की धज्जियां सड़कों पर उड़ती हुई दिखाई देगी। ये है योजना लॉकडाउन के दौरान असंगठित श्रमिकों को लाभ देने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से योजना शुरू की गई है। इस योजना के दायरे में ऐसे श्रमिक आएंगे जिनका न तो श्रम विभाग में कोई रजिस्ट्रेशन है और न ही भवन निर्माण श्रमिकों के तहत वे रजिस्ट्रड हैं। जिन लोगों के पास कोई बीपीएल कार्ड भी नहीं है। ऐसे असंगठित श्रमिकों को सरकार की तरफ से हर सप्ताह 1 हजार रुपये की राशि दी जाएगी। सीधे तौर पर कहा जाए तो यह योजना उन दूसरे राज्यों के लोगों के लिए है जो हरियाणा में आकर श्रमिक के तौर पर कार्यरत हैं तथा उनके पास कोई पहचानपत्र नहीं है। इन दूसरे राज्यों के लोगों को पलायन करने से रोकने के लिए यह योजना शुरू की गई लेकिन इस योजना की पूरी जानकारी नहीं होने के कारण जमकर खेल हो रहा है। योजना का लाभ लेने के लिए वे लोग भी आवेदन कर रहे हैं जिनके पास बीपीएल कार्ड है और जो परिवार समृद्धि योजना के दायरे में भी है। इन लोगों को कोई नहीं बता रहा कि ये इस योजना के दायरे में नहीं आ रहे हैं। पार्षदों के घर व कार्यालय तथा खुले हुए सीएससी सेंटरों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है और लॉकडाउन की धज्जियां उड़ रही है। यहां हो रही है बड़ी लापरवाही
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श्रम विभाग: इस सरकारी योजना को लेकर सबसे बड़ी लापरवाही श्रम विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। श्रम आयुक्त की ओर से 30 मार्च को भेजे गए पत्र में श्रम विभाग के निरीक्षकों व सहायक श्रम आयुक्त को स्पष्ट निर्देश है कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में कार्य कर रहे असंगठित श्रमिकों से व्यक्तिगत संपर्क करके उनका प्रोफार्मा भरवाएंगे तथा ऑनलाइन पंजीकरण नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर से कराएंगे। बकायदा इसकी रिपोर्ट भी तलब की गई है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। श्रम विभाग का एक भी अधिकारी लोगों के बीच नहीं पहुंचा है। उल्टे विभाग ने अपने कार्यालय के दरवाजे तक बंद किए हुए हैं ताकि कोई जानकारी लेने न पहुंच जाए।
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पार्षदगण: असंगठित श्रमिकों के फार्म को पार्षदों व गांव में सरपंचों द्वारा सत्यापित करना आवश्यक है। अब खेल यह हो रहा है कि पार्षदगणों को खुद इस योजना की कोई जानकारी नहीं है। खुद की राजनीतिक रोटियां सेंकने व वोटबैंक तैयार करने के लिए शहर के कई पार्षदों ने अपने घर पर लोगों की भारी भीड़ एकत्रित करनी शुरू कर दी है। ये पार्षद लोगों को बरगला रहे हैं कि वे ही उन्हें इस योजना का लाभ दिलाएंगे तथा फार्म भरकर भी ये लोग अपने पास ही जमा कर रहे हैं। कहीं न कहीं श्रम विभाग के अधिकारी भी इसमें शामिल है जो खुद ड्यूटी से बचने के लिए पार्षदों के कंधों का सहारा ले रहे हैं। ये पार्षद उन लोगों का भी फार्म भरवा रहे हैं जो बीपीएल कार्ड धारक अथवा अन्य योजना के लाभ के दायरे में शामिल है।
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सीएससी संचालक: कई कॉमन सर्विस सेंटर संचालक भी फार्म भरने की आड़ में जमकर चांदी कूट रहे हैं। चूंकि ये फार्म ऑनलाइन ही जमा करने हैं इसलिए सीएससी सेंटर संचालक असंगठित श्रमिकों का फार्म भरने की बजाय जो भी आ रहा है उन सभी का फार्म भर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हर फार्म पर ये लोग मोटी फीस वसूल कर रहे हैं।
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ये फार्म असंगठित श्रमिकों के लिए है जिनका कहीं पर कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। फार्म को भरकर कॉमन सर्विस सेंटर से ऑनलाइन ही अपलोड करना है। किसी पार्षद के पास फार्म जमा नहीं कराना है। लेबर कार्यालय में भी ये फार्म जमा नहीं हो रहे, लेबर कार्यालय तो बंद है।
-हवा सिंह, सहायक श्रम आयुक्त।