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दुबई में जलवा बिखरेगी पैरा खिलाड़ी पूजा

बारह साल पहले तक रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण जिनकी ¨जदगी थम गई थी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 05:47 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2019 05:47 PM (IST)
दुबई में जलवा बिखरेगी पैरा खिलाड़ी पूजा
दुबई में जलवा बिखरेगी पैरा खिलाड़ी पूजा

ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी : बारह साल पहले तक रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण जिनकी ¨जदगी थम सी गई थी, आज उनके हौसलों की उड़ान भरने का जज्बा दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना हुआ है। धारूहेड़ा निवासी पूजा यादव आज उन माता-पिता के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हैं, जो बेटियों को अबला समझते हैं। पूजा यादव अगले माह 21 से 27 फरवरी तक दुबई में आयोजित होने वाले ग्यारहवें फैजा इंटरनेशनल चैंपियनशिप में शॉटपुट, डिस्कस और जैवलिन थ्रो में भारत की ओर से हिस्सा लेंगी। पूजा कहती हैं कि कभी ¨जदगी उनके लिए बोझिल थी, वहीं आज वह व्हीलचेयर पर होने के बावजूद अपने आपको दुनिया की भाग्यशाली मानती हैं। हरियाण की पैरा टीम की कप्तान का दायित्व निभा चुकी पूजा व्हीलचेयर पर बैठकर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। इस खिलाड़ी की एक समय पढ़ाई तक छूट गई थी, मगर 2016 में दिव्यांगों के लिए रेवाड़ी में आयोजित खेलकूद प्रतियोगिता देखकर उनके मन में खेल के प्रति ललक जगी। परिणामस्वरूप आज वह पदक विजेता हैं। वर्ष 2017 में जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय पैरालंपिक प्रतियोगिता के शॉटपुट में कांस्य पदक, इसी वर्ष फरीदाबाद में राज्यस्तरीय शॉटपुट व जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर वह राज्य और राष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में उभरीं। इसी वर्ष पचंकूला में आयोजित नेशनल पैरा ओलंपिक में जेवलिन थ्रो में स्वर्ण तथा डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीतने वाली खिलाड़ी का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है।

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-------- कुएं में गिरने से टूट गई थी रीढ़ की हड्डी:

पूजा बताती हैं कि 28 मई 2005 को अपने खेत में बने कुएं में गिरने से उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी। उस दौरान वह 10वीं कक्षा में पढ़ती थीं। चोट लगने से 10 साल तक उनका इलाज चला, जिस कारण उनकी पढ़ाई भी छूट गई। वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गईं।

वह कहती हैं कि एकबार तो लगा उनके सपने धूमिल हो गए, लेकिन दिसंबर 2016 में एथलीट कोच सतबीर ¨सह से उनकी मुलाकात हुई तो उन्होंने जीने का सलीका सिखाया। उनके मार्गदर्शन में उन्होंने व्हीलचेयर पर ही शॉटपुट, ज्वेलियन थ्रो व डिस्कस थ्रो का प्रशिक्षण शुरू किया। धीरे-धीरे ¨जदगी में सपने साकार होते चले गए और आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं। वह कहती हैं कि इस हौसले पर प्रशिक्षक सतबीर ¨सह के अलावा पिता कालिया यादव का मार्गदर्शन रहा है। अब वह फिर से 10वीं कक्षा में दाखिला लेकर पढ़ाई कर रही हैं।


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