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लाखों में पहुंचा ऑनलाइन बाजार, स्थानीय बाजार को नुकसान

दीपावली त्योहार पर बाजारों में जमकर रौनक छाई हुई है। लोग भी खरीददारी में जुटे हुए हैं। स्थानीय बाजारों में रौनक तो लौटी है लेकिन ऑनलाइन बाजार बीते कुछ सालों के दौरान काफी हावी हो रहा है। तीन से चार सालों में ही ऑनलाइन बाजार शहर के लोगों के बीच अपनी अच्छी पैठ बना चुका है। ऑनलाइन बाजार के बढ़ते ग्राफ ने स्थानीय बाजार को खासा नुकसान पहुंचाया है। ऑनलाइन बाजार अब लाखों में पहुंच चुका है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Nov 2018 04:30 PM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 04:30 PM (IST)
लाखों में पहुंचा ऑनलाइन बाजार, स्थानीय बाजार को नुकसान
लाखों में पहुंचा ऑनलाइन बाजार, स्थानीय बाजार को नुकसान

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : दीपावली त्योहार पर बाजारों में जमकर रौनक छाई हुई है। लोग भी खरीददारी में जुटे हुए हैं। स्थानीय बाजारों में रौनक तो लौटी है लेकिन ऑनलाइन बाजार बीते कुछ सालों के दौरान काफी हावी हो रहा है। तीन से चार सालों में ही ऑनलाइन बाजार शहर के लोगों के बीच अपनी अच्छी पैठ बना चुका है। ऑनलाइन बाजार के बढ़ते ग्राफ ने स्थानीय बाजार को खासा नुकसान पहुंचाया है। ऑनलाइन बाजार अब लाखों में पहुंच चुका है। जूते, कपड़े और मोबाइल बाजार को ज्यादा नुकसान

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ऑनलाइन बाजार का कारोबार बीते कुछ सालों के दौरान तेजी से बढ़ा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ऑनलाइन बाजार में लोगों के लिए लुभावने आफर है। ऑनलाइन बाजार के ऑफर लोगों को खूब प्रभावित भी कर रहे हैं। ऑनलाइन बाजार वैसे तो सारे ही प्रोडक्ट बेच रहा है लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान जूते, कपड़े और मोबाइल पर है। इन प्रोडक्ट की वैरायटी अधिक व दाम कम होने के कारण लोग जमकर आर्डर कर रहे हैं। इसके साथ ही मोबाइल मार्केट को तो ऑनलाइन बाजार सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। हर गली मोहल्ले में सुबह से लेकर देर शाम तक ऑनलाइन सप्लाई करते हुए कर्मचारी नजर आ जाएंगे। आसान है ऑनलाइन से सामान मंगवाना

मॉडल टाउन निवासी सुनील बताते हैं कि ऑनलाइन बाजार से खरीददारी इसलिए बढ़ रही है क्योंकि इससे खरीददारी करना लोगों को ज्यादा आसान नजर आता है। घर बैठे ही मोबाइल व कंप्यूटर पर सामान को पसंद किया और आर्डर कर दिया। दो से तीन दिन में सामान घर भी पहुंच जाता है। ऐसे में लोग भीड़भाड़ वाले बाजार में जाकर खरीददारी करना कम पसंद कर रहे हैं।

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ऑनलाइन मार्केट स्थानीय बाजार को निश्चित तौर पर प्रभावित कर रहा है। हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं कि लोग खुद अपनी पसंद से बाजार में आकर जो खरीददारी कर सकते हैं वही सबसे बेहतर होती है।

-घनश्याम भालिया, व्यापारी


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