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एसकेएम की समिति से इस्तीफे पर बोले योगेंद्र यादव- सरकार विरोधी दलों के समन्वय में लगाऊंगा समय

इस्तीफे के सवाल पर योगेंद्र यादव ने कहा कि संगठन से उनकी किसी प्रकार की नाराजगी नहीं है। पिछले कुछ समय से उन्हें महसूस हो रहा है कि किसान विरोधी मोदी सरकार का मुकाबला करने के लिए उन्हें जमीन पर चल रहे सभी जन आंदोलनों का हिस्सा बनना होगा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 04 Sep 2022 08:07 PM (IST)Updated: Sun, 04 Sep 2022 08:07 PM (IST)
एसकेएम की समिति से इस्तीफे पर बोले योगेंद्र यादव- सरकार विरोधी दलों के समन्वय में लगाऊंगा समय
योगेंद्र यादव का कहना है कि उन्होंने 31 अगस्त को अपने इस्तीफा दे दिया था।

रेवाड़ी [अमित कुमार सैनी]।  किसान नेता योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) की संचालन समिति से इस्तीफा दे दिया है। योगेंद्र यादव का यह इस्तीफा रविवार को सार्वजनिक हुआ है। योगेंद्र यादव का कहना है कि उन्होंने 31 अगस्त को अपने इस्तीफा दे दिया था।

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संगठन से नहीं है यादव की नाराजगी

इस्तीफे के सवाल पर योगेंद्र यादव ने कहा कि संगठन से उनकी किसी प्रकार की नाराजगी नहीं है। पिछले कुछ समय से उन्हें महसूस हो रहा है कि किसान विरोधी मोदी सरकार का मुकाबला करने के लिए उन्हें जमीन पर चल रहे सभी जन आंदोलनों का हिस्सा बनना होगा। इसके अतिरिक्त सरकार की नीतियों के खिलाफ खड़े विपक्षी राजनीतिक दलों की ऊर्जा को जोड़ने में वह अपनी शक्ति लगाएंगे।

स्वराज इंडिया और राजनीतिक दलों के समन्वय की कोशिश में जुटे

उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी "स्वराज इंडिया" और अन्य राजनीतिक दलों के साथ समन्वय की कोशिश में लगे हुए हैं। इन कोशिशों से किसान आंदोलन के हाथ भी मजबूत होंगे। ऐसे में उनके लिए यह संभव नहीं हो पाएगा कि वह जय किसान आंदोलन में अपनी जिम्मेदारी निभा सकें।

संयुक्त किसान मोर्चा के सिपाही बनकर करेंगे काम

योगेंद्र यादव ने कहा कि जय किसान आंदोलन में उनके स्थान पर उनके संगठन जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अवीक साहा इस जिम्मेदारी को निभाएंगेे। वह संयुक्त किसान मोर्चा के सिपाही बनकर रहेंगे और हर कार्यक्रम में अपना सहयोग देंगे।

सरकार के खिलाफ किया था आंदोलन

बता दें कि किसान के लिए लाए गए तीन कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने एक संगठन बनाया था जिसे संयुक्त किसान मोर्चा नाम दिया गया था। इस संगठन से देश के कई किसान नेता जुड़े जिसमें राकेश टिकैत, चढूनी, योगेंद्र यादव सहित अन्य भी शामिल रहे। हालांकि समय समय पर इसमें फूट की बात भी सामने आती रही। किसानों के आंदोलन के कारण सरकार को किसानों के लिए लाए गए तीनों कृषि कानून को वापस लेना पड़ा था।  


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