आम है खादी और खाकी से अपराधियों का याराना, हर राज्य में मौजूद हैं विकास दुबे जैसे कुख्यात चेहरे
हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एडीजीपी श्रीकांत जाधव का कहना है कि अपराध पनपने का एक बड़ा कारण नशा है।
रेवाड़ी, महेश कुमार वैद्य। खादी और खाकी से अपराधियों का याराना आम है। इसके लिए सबूत की जरूरत नहीं है। बस आसपास निगाह दौड़ा लें। कल तक गली-मोहल्ले में अवैध शराब बेचने वाले चेहरों के हाथों में कहीं पंचायत की कमान है कहीं राजनीतिक दल में कोई ओहदा। कहीं पर तेल माफिया मुखिया हैं तो कहीं विवादित जमीनों पर कब्जा करने वाले भूमाफियाओं को नेताओं की कोठी पर अग्रिम पंक्ति में जगह मिल रही है। विकास दुबे जैसे कुख्यात चेहरे केवल उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि अधिकांश राज्यों में मौजूद है। यह हकीकत है कि हरियाणा की स्थिति कुछ राज्यों से बेहतर है, मगर पनप रहा नापाक गठजोड़ शुभ संकेत नहीं है।
सूत्रों के अनुसार प्रदेश में ऐसे कई नशा मुक्ति अभियान चलाने वाले संगठन हैं, जिनके मुखिया नशे में डूबे रहते हैं। शुरूआत में पुलिस कमाऊ पूत मानकर सुस्त रहती है। सुस्ती जब टूटती है तब तक अपराधी चुस्त हो जाते हैं। पानी नाक तक आने से पहले पुलिस व नेताओं की आंखे बंद रहती है। कई राज्यों में हर वर्ष अरबों का तेल पाइपलाइनों व टैंकरों के पेट से चोरी होता है। अगर कभी किसी इमानदार अधिकारी ने तेल माफिया का फन कुचलने का प्रयास किया तो छापे से पहले सूचना पहुंच जाती है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश में कुछ अपराधी अब भी वसूली कर रहे हैं। एडीजीपी श्रीकांत जाधव व समाजशास्त्री मधुसूदन की बातें आंखें खोलने वाली है।
बौने हो गए सामाजिक कानून
नारनौल राजकीय कालेज के सहायक प्रोफेसर मधुसूदन का कहना है कि किताबी कानून अपनी जगह बेशक कड़े हैं, मगर सामाजिक कानून कमजोर पड़ गए हैं। लोगों ने यह मान लिया है कि गरीबी सबसे बड़ा दुख और पैसा सबसे बड़ा सुख है। अपराधियों ने इसे समझ लिया। अब चोरी या माफियागिरी के बल पर अगर कोई बड़ा बंगला बना लेता है तो समाज उसे हेय दृष्टि से नहीं देख रहा, जबकि देखना चाहिए था। जब पाप की कमाई से बने बंगलों में नेताओं या अधिकारियों का भव्य स्वागत होता हो तो सामाजिक कानून खत्म हो जाते हैं।
हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एडीजीपी श्रीकांत जाधव का कहना है कि अपराध पनपने का एक बड़ा कारण नशा है। नशे से जुड़े लोग पहले खुद अपराधी बनते हैं फिर युवा पीढ़ी को बहला-फुसलाकर नशे के दलदल में धकेलते हैं। नशे की दुनिया में कदम रखने के पीछे असली वजह अथाह पैसा होता है।
इस सिस्टम के लिए समाज को खड़ा होना पड़ेगा। जब कुख्यात अपराधियों को बचाने के पीछे उनकी जाति के लोग उठ खड़े होते हैं और सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं, तब चिंता बढ़ जाती है। यहां समाज को अपनी भूमिका निभानी होगी।