Haryana News: रेवाड़ी में तैयार बीज से यूपी, बिहार और राजस्थान में लहलहाएगी सरसों की फसल
Haryana News वैज्ञानिकों ने खेती के क्षेत्र में जिले को बड़ी पहचान दिलाने का कार्य किया है। विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने सरसों की नई किस्म आरएच-725 का बीज तैयार किया है। बीज की मांग सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश राजस्थान और बिहार में भी हो रही है।
रेवाड़ी, अमित सैनी: कृषि विज्ञान केंद्र बावल के वैज्ञानिकों ने खेती के क्षेत्र में एक बार फिर जिला को बड़ी पहचान दिलाने का कार्य किया है। विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने सरसों की नई किस्म आरएच-725 का बीज तैयार किया है।
अहम बात यह है कि सरसों के इस नई किस्म के बीज की मांग सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में भी हो रही है। नई किस्म का यह बीज सिर्फ सस्ता ही नहीं बल्कि इससे होने वाली उपज और तेल की मात्रा दोनों को लेकर किसानों को किसी भी तरह की निराशा नहीं होगी। केंद्र में तैयार किया गया 100 क्विंटल बीज रेवाड़ी जिला सरसों उत्पादन के मामले में एक बार नहीं बल्कि कई बार देशभर में नंबर वन रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्र बावल की ओर से भी सरसों को लेकर लगातार काम किया जा रहा है। केंद्र के वैज्ञानिकों ने नई किस्म आरएच-725 जो तैयार की है जांच के बाद उसके परिणाम बेहतरीन बताए जा रहे हैं। केंद्र में 100 क्विंटल से अधिक बीज तैयार किया हुआ है।
निजी कंपनियों का एक किलो सरसों का बीज जहां एक हजार से 1100 रुपये किलो है वहीं केंद्र में तैयार किया गया बीज महज 80 रुपये किलो के हिसाब से किसानों को दिया जा रहा है। इतना ही नहीं इस बीज से होने वाली सरसो उपज किसी भी तरह से अन्य किस्म से कमतर नहीं है। प्रति एकड़ 25 से 30 मन उत्पादन होने का दावा किया जा रहा है।
इसके साथ ही तेल की मात्रा भी 40 प्रतिशत तक निकलने की बात वैज्ञानिकों की ओर से कही जा रही है। यानी एक क्विंटल में 40 किलो तेल इस नई किस्म से होने वाली सरसों की पैदावार से मिलेगा। यहां से आई है बीज की डिमांड उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर और बागपत कृषि विज्ञान केंद्र, इटावा, बिहार के जिला आरा के भोजपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, नवादा कृषि विज्ञान केंद्र, राजस्थान के बीकानेर जिले के लूणकरणसर कृषि विज्ञान केंद्र में सरसों के इस बीज को मंगवाया गया है। वहीं किसान बावल स्थित रिसर्च सेंटर से भी बीज ले सकता है।
इस नई किस्म की अच्छी बात यह है कि गुणवत्ता बहुत बेहतर है। दूसरे बीजों को अगले साल के लिए रख नहीं सकते लेकिन इस किस्म के बीज को किसान अगले साल के लिए रख सकते हैं, यह खराब नहीं होगा। वहीं इस किस्म में सरसों में जड़ गलन और तना गलन की बीमारी नहीं होगी। हमारे पास बीज की भारी मांग है। -डा. धर्मवीर सिंह, निदेशक, कृषि अनुसंधान केंद्र बावल