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रेवाड़ीः पुस्तकालयों के प्रति भी दिखानी होगी ग्राम पंचायतों को गंभीरता, विनोद ने की अपील

विनोद यादव ने बताया कि कि प्रत्येक स्कूल में एक पुस्तकालय होना चाहिए क्योंकि पुस्तकालय पुस्तकों के साथ एक इमारत ही नहीं है बल्कि सूचना और विचारों का स्रोत है सीखने और पूछताछ के लिए एक जगह है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:06 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 02:06 PM (IST)
रेवाड़ीः पुस्तकालयों के प्रति भी दिखानी होगी ग्राम पंचायतों को गंभीरता, विनोद ने की अपील
आइआइटी दिल्ली एल्युमिनी एसोसिएशन के पूर्व सचिव विनोद यादव

रेवाड़ी [ज्ञान प्रसाद]। ग्राम पंचायतों को ग्रामीण पुस्तकालयों का निर्माण और इन्हें सुदृढ़ करने के लिए भी चिंता करनी चाहिए। इससे न केवल बच्चों में अध्ययन के प्रति रुझान बढेगा बल्कि गांव के युवाओं को भी फायदा होगा। इसी संदर्भ में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली के पूर्व छात्रों के संगठन आइआइटी दिल्ली एल्युमिनी एसोसिएशन के पूर्व सचिव विनोद यादव ने इसे आंदोलन बनाने का आह्वान किया है।

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उनका कहना है कि संगठन की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालय पे चर्चा विषय पर विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। एसोसिएशन की ओर से प्रदेश के विभिन्न राजकीय विद्यालयों में पुस्तकालय विकसित किए गए हैं ताकि बच्चों में अध्ययन के प्रति रुझान बढ़ने के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अन्यत्र भटकना नहीं पड़े। संगठन की ओर से रेवाड़ी जिला में ततारपुर स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, हांसाका, श्योराज माजरा, गुरुग्राम के पहाड़ी गांव स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तथा झज्जर के पलरा स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आधुनिक सुविधाओं से युक्त पुस्तकालय विकसित किए गए हैं। विनोद यादव का कहना है कि पुस्तकालय विषय ग्राम पंचायतों द्वारा एक आंदोलन जैसा होना चाहिए।

ग्राम पंचायतों को अपने प्रतिनिधियों से पुस्तकालय और अन्य शैक्षिक विकास की मांग करनी चाहिए। उनका कहना है कि पुस्तकालय की स्थापना करना मुश्किल नहीं है इन्हें व्यवस्थित रूप से संचालित करना कठिन है। गांवों में पुस्तकालय चलाने के लिए विद्यालय सर्वोत्तम स्थान हैं।इसे व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए लाइब्रेरियन चाहिए।

पुस्तकालय केवल उन्हीं गांवों में चलाए जा सकते हैं जिनकी प्राथमिकता शिक्षा के रूप में है या वे गांव जो शिक्षा के महत्त्व एवं शिक्षा की शक्ति को समझते हैं। पुस्तकालय के सफल संचालन के लिए स्कूल स्टाफ, ग्राम पंचायत और युवाओं का समर्थन जरूरी है। उन्होंने बताया कि यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में प्रतियोगी परीक्षाओं व गुणवत्ता शिक्षा के प्रति जागरूकता लाने के लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगी। गांव के बच्चों में बहुत प्रतिभाएं है लेकिन जागरूकता व संसाधनों के अभाव में ज्यादातर विद्यार्थी अपने सामर्थ्य का उपयोग नहीं कर पाते है।

गुणात्मक शिक्षा सशक्तीकरण और ज्ञानवर्धन का सबसे शक्तिशाली साधन है। विनोद यादव ने बताया कि कि प्रत्येक स्कूल में एक पुस्तकालय होना चाहिए क्योंकि पुस्तकालय पुस्तकों के साथ एक इमारत ही नहीं है बल्कि सूचना और विचारों का स्रोत है, सीखने और पूछताछ के लिए एक जगह है। नए विचार और नई पीढ़ी के निर्माण के लिए ज्ञान तीर्थ स्थल है बच्चों को भी उनके पाठ्यक्रम के अलावा अन्य ज्ञान पुस्तकों के ज्ञान का भंडार प्राप्त होगा। पुस्कालय हर उम्र के लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

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