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कोरोना संकट में धरतीपुत्रों को दिया किसान सेवा समूह ने सहारा

कोरोना संकट में किसानों की अार्गेनिक सब्जियां हाथों-हाथ बिकी। इनके खेत सब्जीमंडी बने हुए हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 08:20 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 08:35 PM (IST)
कोरोना संकट में धरतीपुत्रों को दिया किसान सेवा समूह ने सहारा
कोरोना संकट में धरतीपुत्रों को दिया किसान सेवा समूह ने सहारा

रेवाड़ी, जागरण संवाददाता। सतसइया के दोहरे ज्यों नावक के तीर, देखन में छोटे लगत घाव करे गंभीर।वाट्सएप पर किसान सेवा समूह गठित करने वाले वरिष्ठ विज्ञानी डा. अशोक यादव के प्रयासों पर बिहारी सतसई का यह दोहा सटीक बैठ रहा है। डा. यादव का प्रयास दिखता भले ही छोटा है, मगर मकसद बड़ा है। इसके पीछे छुपी भावना बड़ी है। कोरोना के डर से जब लॉकडाउन में सब कुछ ठहरा सा था, तब किसान सेवा समूह वाट्सएप ग्रुप पर किसानों की समस्याओं का समाधान हो रहा था। इस समूह ने सैकड़ों किसानों को लाभान्वित किया। ग्रुप में शामिल वरिष्ठ कृषि, बागवानी व पादप विज्ञानियों ने किसानों का मार्गदर्शन किया। किसान बेशक कहीं जा नहीं पाए, मगर उन्हें घर बैठे पेड़-पौधों व फसलों की हर बीमारी का उचित उपचार वाट्सएप पर ही मिल गया। उन्नत किसान जिले सिंह ने भी हर किसी के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। कोरोना संकट में इनकी अार्गेनिक सब्जियां हाथों-हाथ बिकी। इनके खेत सब्जीमंडी बने हुए हैं। पढें और शेयर करें रेवाड़ी से जागरण के वरिष्ठ मुख्य संवाददाता महेश कुमार वैद्य की रिपोर्ट

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प्रेरक है डा. अशोक का प्रयास

सस्य विज्ञानी डा. अशोक यादव प्रयोगधर्मी हैं। इनकी सोच खेती-किसानी के महत्व व श्रम को सम्मान दिलाने की रही है। डा. यादव चाहते तो सेवानिवृत्ति के बाद आराम की जिंदगी जी सकते थे मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। संप्रति वह बावल स्थित चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विवि के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में निश्शुल्क सेवाएं दे रहे हैं। सस्य विज्ञान का दायरा व्यापक है। यह भोजन, ईंधन व चारा आदि से जुड़ा ऐसा विज्ञान है, जो भूमि का उचित प्रबंध करके वैज्ञानिक विधि से फसलें उगाने के तौर-तरीके सिखाता है।

डा. यादव अपने इस अनुभव का लाभ किसानों को दे रहे हैं। इन्होंने कुछ समय पूर्व एक वाट्सएप ग्रुप बनाया। लॉकडाउन हुआ तो किसान हित की चिंता करके इन्होंने इसका दायरा बढ़ा दिया। इसमें कई ऐसे प्रगतिशील किसानों को साथ जोड़ा जो विज्ञानियों से मिली जानकारी को अपने-अपने गांवों में साझा कर सके। लॉकडाउन के बाद हरियाणा के नामचीन मौसम वैज्ञानिक डा. मदनलाल खीचड़ को इसमें शामिल किया, जिससे किसानों को रोजाना मौसम की सटीक जानकारी मिल रही है।

इसी तरह कृषि, बागवानी व अन्य क्षेत्रों से जुड़े वरिष्ठ विज्ञानी इसमें शामिल किए। इस ग्रुप में डा. जोगेंद्र सिंह, बागवानी विभाग से प्रेम कुमार, कई गांवों के सरपंच व कुछ जिला पार्षद भी शामिल किए ताकि उपयोगी सूचनाओं को अधिकाधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके।

किसी किसान ने कपास की बीमारी की जानकारी चाही तो उसे बिना देरी सही कीटनाशक की जानकारी मिल गई। किसी के बाग में किसी फल विशेष की पत्तियों में बीमारी लगी तो फोटो मंगवाकर हाथों-हाथ समाधान कर दिया। किसी को दीमक का इलाज बताया तो किसी को मौसम के अनुकूल बिजाई का सुझाव मिला। केंद्रीय कृषि विकास संस्थान व अन्य सरकारी एजेंसियों की ओर से जारी होने वाली गाइडलाइन किसानों तक पहुंचाई।

डा. अशोक: एक परिचय

रेवाड़ी के गांव चौकी नंबर दो निवासी डा. यादव ने बीएससी (आनर्स) एग्रीकल्चर व एमएससी (सस्य विज्ञान) की डिग्री हिसार स्थिति चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (सीसीएचएयू) से तथा पीएचडी की डिग्री यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स से हासिल की। इन्होंने वर्ष 1982 में बावल स्थित सीसीएचएयू के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र से बतौर सहायक प्रोफेसर अपना करियर शुरू किया। 31 मार्च 2018 को कृषि महाविद्यालय, बावल के प्रिंसिपल पद से सेवानिवृत्त हुए। बावल आने से पूर्व इनके पास सीसीएचएयू-हिसार में निदेशक (सीड्स) की जिम्मेदारी थी। वर्तमान में बावल स्थित सीसीएचएयू के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में निश्शुल्क सेवाएं दे रहे हैं।

जिले सिंह का रहा जलवा

कोसली क्षेत्र के गांव भूरियावास के किसान जिले सिंह की तारीफ आसपास के ग्रामीण नहीं बल्कि खुद कृषि विज्ञानी कर रहे हैं। वरिष्ठ कृषि विज्ञानी डा. जोगेंद्र सिंह जिले सिंह की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि साढ़े नौ एकड़ की जोत में इन्होंने कमाल दिखाया है। जिले सिंह ने आपदा को अवसर में बदला। कोरोना संकट के समय लोगों का रुझान आर्गेनिक खान-पान की ओर बढ़ा। ऐसे में जिले सिंह की आर्गेनिक सब्जी पूरे क्षेत्र में छा गई। उनके खेत सब्जीमंडी बन गए। सेवानिवृत्त सैनिक जिले सिंह अब मूंगफली की तैयारी में है। लीक से हटकर चलना साहस का काम है। जिले सिंह का यही साहस उन्हें दूसरों से अलग करता है। जिले सिंह के तरबूज इस बार 30 रुपये व खरबूजे 70 रुपये प्रति किग्रा तक बिके हैं। जिले सिंह ने बताया कि इस बार उन्होंने ताइवान की मुस्कान व रमैया वैरायटी के तरबूज व खरबूजे की बिजाई की थी। साख की वजह से ही खेतों तक ग्राहक पहुंचे।

कुछ लोग संकट में निराश होते हैं, जबकि कुछ उम्मीद का दामन नहीं छोड़ते। डा. अशोक यादव जैसे विज्ञानियों व जिले सिंह जैसे किसानों ने किसानों का मार्गदर्शन किया है। डा. यादव का किसान सेवा समूह वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से किसानों की सेवा करना सराहनीय है। मैं ग्रुप में शामिल उन कृषि व मौसम विज्ञानियों का भी धन्यवाद करता हूं, जो किसानों को सही सलाह दे रहे हैं। हमारे उन्नत किसान जिले सिंह को भी साधुवाद।

जेपी दलाल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, हरियाणा


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