ढोंगी बाबा के चक्कर में अपनी गोद सूनी कर बैठी महिला, जानिए क्या है पूरा मामला Rewari News
रेवाड़ी में अंधविश्वासी महिला एक ढोंगी बाबा के चक्कर में फंसकर अपनी ही गोद सूनी कर बैठी। अब महिला का रो-रोकर बुरा हाल है।
रेवाड़ी, जेएनएन। रेवाड़ी जिले की सीमा से सटे राजस्थान के अलवर जिले के भिवाड़ी कस्बे के फूलबाग चौक स्थित निजी अस्पताल में एक महिला ने अविकसित बच्चे को जन्म दिया। बच्चा पैदा होते ही दुनिया से चल बसा। ढोंगी बाबा के चक्कर में फंस कर महिला ने नौ माह तक न तो डॉक्टर से उपचार लिया और न ही कोई जांच कराई। यदि समय रहते महिला को उपचार मिल जाता तो बच्चा स्वस्थ्य पैदा हो सकता था। परंतु महिला ने ढोंगी बाबा के झांसे में आकर अपनी गोद सूनी कर ली।
अस्पताल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गरिमा गोयल ने बताया कि उनके लिए यह अचंभित कर देने वाला डिलीवरी केस था। एक महिला प्रसव पीड़ा के बाद उनके अस्पताल में भर्ती हुई थी। अल्ट्रासाउंड करने पर मालूम हुआ कि गर्भ धारण के 9 माह पश्चात भी भ्रूण पूर्णतया अविकसित अवस्था में था और उसके दिमाग व फेफड़ों का विकास नहीं होने से उसके अंग छोटे रह गए थे। नवजात शिशु के जीवित रहने की संभावना नाम मात्र भी नहीं थी। सिर्फ इतना ही नहीं बच्चा उल्टा होने के कारण नॉर्मल डिलीवरी करवाने में भी कठिनाई हुई।
डॉ. गोयल ने बताया कि चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में अविकसित भ्रूण का यह विलक्षण केस पचास हजार मामलों में से एक नवजात के केस में मिलता है। अविकसित होने के साथ-साथ पूर्ण विकास के अभाव में भ्रूण विचित्र भी था।
समय पर होती जांच तो बच सकता था बच्चा
यदि गर्भवती महिला का समय रहते अल्ट्रासाउंड किया जाता और इस बीमारी का ज्ञान हो जाता तब उसका इलाज संभव था। गर्भधारण के तीन-चार माह बाद ही भ्रूण के विकास की सही स्थिति अल्ट्रासाउंड से पता चल जाती है। डॉ. गरिमा ने गर्भवती महिला से गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड नहीं करवाने का कारण पूछा तो उसने बताया कि विवाह के 5 वर्षों तक संतान सुख नसीब नहीं हुआ था।
इस बीच जब गर्भ धारण हुआ तो एक बाबा ने उसे डॉक्टर से जांच व उपचार न लेने की सलाह दी। उसे अल्ट्रासाउंड न कराने के लिए भी समझा दिया गया। अंधभक्ति और बाबा पर विश्वास के कारण महिला गर्भधारण के नौ माह पश्चात डिलिवरी के समय ही अस्पताल में पहुंची। अज्ञानता व अंधविश्वास के कारण ही इस महिला ने न केवल बच्चा खो दिया बल्कि अब शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक पीड़ा सहने के लिए भी मजबूर है।
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