हरियाणा के रेवाड़ी में अजब मामला, बच्चे के जन्म से पहले ही बनाए डाइपर और फीडिंग ट्यूब के बिल
इसके बाद बाद नवजात के स्वजन जब दिल्ली के एक अस्पताल में उसके उपचार के लिए पहुंचे तब कहीं जाकर उन्हें ब्लड ग्रुप बदले जाने की जानकारी मिली। इसके खिलाफ सीएम विंडो पर व एसपी को शिकायत दी गई है।
रेवाड़ी, जागरण संवाददाता। शहर के एक निजी अस्पताल की मनमानी और गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। निजी अस्पताल ने न सिर्फ नवजात के ब्लड ग्रुप को बदल डाला बल्कि मोटा बिल बनाने के चक्कर में डिलीवरी से पहले ही बच्चे के डाइपर, बेबी वाइप्स, फीडिंग ट्यूब आदि के पैसे बिल में जोड़ने शुरू कर दिए गए। अब निजी अस्पताल की मनमानी के खिलाफ सीएम विंडो पर व एसपी को शिकायत दी गई है।
अंदर मेडिकल स्टोर, बना दिया मोटा बिल
शहर निवासी अंकित एक निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। अंकित की पत्नी की नवंबर माह में डिलीवरी होनी थी। डिलीवरी के लिए उन्होंने 9 नवंबर 2021 को अपनी पत्नी को आंबेडकर चौक के निकट स्थित एक अस्पताल में भर्ती करा दिया था। 11 नवंबर को उनकी पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया।
डिलीवरी के बाद बच्चे की तबीयत खराब बताकर उसे वहीं पर एडमिट रखा गया तथा 21 नवंबर को छुट्टी दी गई। छुट्टी देने के बाद अंकित को जब दवा का बिल दिया गया तो उसे देखकर वह हैरान रह गए।
दवा अस्पताल के अंदर बने मेडिकल स्टोर से ही आती रही। दवा के बिल में 9 नवंबर और 10 नवंबर जब बच्चे का जन्म भी नहीं हुआ था उन दिनों के भी डाइपर, बेबी वाइप्स, फी¨डग ट्यूब, काटन, ग्लूकोज का स्तर मापने के लिए डा. मारपेन स्ट्रीप और बच्चे के जन्म के समय इस्तेमाल होने वाले सामान के पैसे जोड़े हुए थे। 11 नवंबर को बच्चे के जन्म के बाद भी इसी सामान का बिल बनाया गया था।
अंकित ने जब अस्पताल स्टाफ से पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया तथा कहा कि सारा सामान लाया गया था तभी तो बिल बनाया है।
अंकित ने कहा कि जब बच्चे का जन्म ही नहीं हुआ था तो डाइपर, बेबी वाइप्स, फी¨डग ट्यूब का इस्तेमाल ही किसपर किया गया। 9 नवंबर से लेकर छुट्टी वाले दिन तक इस सामान के दो-दो सेट का बिल बनाया गया तथा केवल दवा का ही 68 हजार का बिल बना दिया गया।
दूसरे अस्पताल में पता चला, ब्लड ग्रुप बदल दिया
अंकित ने बताया कि जनवरी 2022 में उसके बेटे को पेट में दिक्कत होने लगी। वह दिल्ली के एक अस्पताल में बच्चे को उपचार के लिए लेकर गए। वहां पर जब बच्चे के रक्त की जांच की गई तो बताया गया कि बच्चे का ब्लड ग्रुप एक पाजिटिव है।
वहीं जिस अस्पताल में बच्चे का जन्म हुआ उसने बी पाजिटिव ब्लड ग्रुप लिखा हुआ था। अंकित ने बताया कि दिल्ली के अस्पताल के चिकित्सकों ने इस गलती को गंभीर लापरवाही बताया।
उन्होंने बताया कि इस मामले में उन्होंने अस्पताल के चिकित्सक से भी बातचीत की लेकिन बजाय उनकी बात सुनने के चिकित्सक ने उनको ही धमकाना शुरू कर दिया।