मंदिर वहीं बनाएंगे, ईट जबरन नहीं लगाएंगे
करुणा प्रकाश विश्व ¨हदू परिषद के वरिष्ठ नेता है। उत्तर क्षेत्र (इंद्रप्रस्थ क्षेत्र) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के रूप में उनके पास संप्रति जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली राज्यों का दायित्व है। निजी कार्य से रेवाड़ी आए विहिप नेता ने रविवार देर शाम राम मंदिर को लेकर विश्व ¨हदू परिषद के ²ष्टकोण, संतो द्वारा जारी धर्मादेश व मुद्दे के कानूनी पहलू पर दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता महेश कुमार वैद्य से विस्तार से बात की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-
करुणा प्रकाश विश्व ¨हदू परिषद के वरिष्ठ नेता हैं। उत्तर क्षेत्र (इंद्रप्रस्थ क्षेत्र) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के रूप में उनके पास संप्रति जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली राज्यों का दायित्व है। निजी कार्य से रेवाड़ी आए विहिप नेता ने रविवार देर शाम राम मंदिर को लेकर विश्व ¨हदू परिषद के दृष्टिकोण, संतों द्वारा जारी धर्मादेश व मुद्दे के कानूनी पहलू पर दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता महेश कुमार वैद्य ने करुणा प्रकाश से विस्तार से बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश-
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राम मंदिर को लेकर साधू-संतों ने धर्मादेश जारी किया है। विहिप का क्या दृष्टिकोण है?
-हमारा नजरिया स्पष्ट है। देरी से न्याय मिलना भी अन्याय है। बर्तन भर जाता है तो पानी बाहर छलकने लगता है। सुप्रीम कोर्ट व सरकार दोनों को बिना देरी अब ¨हदू जनमानस की भावनाएं समझनी चाहिए। हमें राम मंदिर चाहिए। रास्ता केंद्र सरकार को निकालना है। हम जबरन एक ईंट भी नहीं लगाएंगे, लेकिन राम जन्मभूमि पर राम मंदिर ही बनेगा।
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संतों के बीच से यह बात भी आई है कि जैसे विवादित ढांचा टूटा वैसे ही मंदिर निर्माण भी हो जाएगा। आप जबरन एक ईंट न लगने की बात कर रहे हैं?
-मेरा यह मानना है कि गिराने व बनाने की प्रक्रिया अलग है। किसी ने अति उत्साह व नाराजगी में यह बात कह दी होगी, लेकिन व्यवहारिक रूप से ढ़ांचा गिराने की तरह निर्माण करना संभव नहीं है। मैं यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि गिराने में
थोड़ा सा समय लगता है, लेकिन निर्माण में लंबा समय लगना है। हम कानूनी रास्ता अपनाना चाहते हैं, लेकिन कानून के लिए लंबा इंतजार नहीं किया जा सकता।
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आप कानून से निर्माण की बात भी कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट को फैसले का इंतजार भी नहीं कर रहे। दोनों बातें कैसे?
-इंतजार तो तब करें जब गाड़ी आगे बढ़ रही हो। अभी तक तो सुनवाई ही शुरू नहीं हुई है। कानूनी रास्ते बंद नहीं हुए हैं। बस सवाल इच्छाशक्ति का है। केंद्र सरकार को बिना देरी इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए। अध्यादेश लाकर मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। प्राइवेट बिल की जरूरत भी नहीं है। मोदी सरकार को सीधे पहल करनी चाहिए।
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माना जा रहा है कि राजस्थान सहित पांच राज्यों में हो रहे चुनावों को देखते हुए राम मंदिर का मुद्दा गरमाया जा रहा है?
-हम भगवान श्रीराम को चुनावी राजनीति से जोड़कर नहीं देखते, लेकिन अगर कोई राम विरोधी है तो जनता के बीच उसका चेहरा सामने आना चाहिए। केंद्र सरकार अध्यादेश लाएगी तो यह आसानी से पता चल जाएगा कि कौन भगवान राम के मंदिर के विरोधी हैं।
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सुप्रीम कोर्ट तो इस मामले को जमीनी विवाद की तरह देख रहा है। विहिप के पास इस बारे में क्या तर्क हैं?
-हम यह कहना चाहते हैं कि कानून बनाते समय राम जन्म भूमि के लिए निर्धारित जमीन को भी अधिगृहीत कुल जमीन में शामिल मानकर राम जन्म भूमि न्यास को सौंप देना चाहिए।
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मंदिर निर्माण को लेकर विहिप की क्या तैयारी है?
-राम जन्मभूमि न्यास पूरे मामले को देख रहा है। हम मित्र संगठन की भूमिका में हैं। पत्थर तराशने का काम लगातार जारी है। कानूनी रास्ता साफ होते ही तेजी से निर्माण शुरू कर देंगे। करोड़ों ¨हदुओं का सपना पूरा करना अब केंद्र के हाथ में है। इस मामले में सभी दलों को साथ आना चाहिए। यह भाजपा, विहिप या किसी संगठन विशेष का नहीं बल्कि करोड़ों ¨हदुओं की आस्था से जुड़ा मसला है।