खान पान सुधारे तभी तो ठीक रह पाएगी सेहत
बेहतर खानपान से ही सेहत को ठीक रखा जा सकता है। खाने पीने में बरती गई लापरवाही के कारण ही कुपोषण होता है। कुपोषण के कारण ही शरीर सूखने लगता है तथा एक के बाद एक कई बीमारियां जकड़ने लग जाती है। गरीब तबके के लोगों में पाई जाती है ज्यादा समस्या
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : बेहतर खानपान से ही सेहत को ठीक रखा जा सकता है। खाने पीने में बरती गई लापरवाही के कारण ही कुपोषण होता है। कुपोषण के कारण ही शरीर सूखने लगता है तथा एक के बाद एक कई बीमारियां जकड़ने लग जाती है। गरीब तबके के लोगों में पाई जाती है ज्यादा समस्या
वर्तमान समय में जब सरकार कुपोषण से निपटने के लिए तमाम कदम उठा रही है इसके बावजूद भी इस समस्या का समाज में मौजूद होना खासा ¨चताजनक है। कुपोषण की समस्या गरीब तबके के लोगों में ज्यादा पाई जाती है लेकिन ऐसा नहीं है कि संपन्न लोगों में यह समस्या नहीं है। खान पान के प्रति जागरूक नहीं होने के कारण संपन्न लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं। शरीर में संतुलित मात्रा में आयरन, कैलशियम, प्रोटीन व विटामिन नहीं जाएंगे तो यह समस्या घर करने लगती है। जिला में सरकारी आंकड़ों पर ही अगर निगाह डाली जाए तो कुपोषित बच्चों की संख्या अभी भी 6 हजार से अधिक है। इनमें से 113 बच्चे अभी भी कुपोषण की अति गंभीर श्रेणी में शामिल है। करीब दो साल पहले जिला में 8 हजार बच्चे कुपोषण के शिकार थे। यह तो सिर्फ बच्चों की तादाद है जबकि महिलाएं भी बड़ी तादाद में कुपोषण की शिकार हैं। महिलाएं अपने खानपान का उचित ध्यान नहीं रखती जिससे उनमें खून की कमी लगातार बढ़ती चली जाती है। गर्भवास्था के दौरान तो रक्त की यह कमी खासी परेशानियां बढ़ा देती है। बदलना होगा खानपान का तरीका
डायटीशियन मीनाक्षी अरोड़ा का कहना है कि कुपोषण को एक लाइन में समझाना हो तो शरीर में पोषण तत्वों की कमी ही कुपोषण है। इसके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है कि हम संतुलित भोजन लें। संतुलित भोजन से अभिप्राय है खाने में सिर्फ दूध और दही ही नहीं बल्कि हरी सब्जियां, दाल, मीठा व आयरन वाली चीजें ज्यादा से ज्यादा लें। गुड़ चना, टमाटर, केला व अन्य फल, नॉनवेज के अतिरिक्त लोहे की कढ़ाई में खाना बनाकर खाने से काफी हद तक पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है। हरी सब्जियां तो सबसे ज्यादा पौष्टिक होती है। इसके अतिरिक्त मोटा अनाज खाने से भी सेहत बनती है। मोटे अनाज में पल्प अधिक होता है यह आंतों में चिपकने की बजाय आसानी से आगे बढ़ता है। इससे पेट पर कब्ज का कब्जा नहीं हो पाता। इसके अतिरिक्त काबुली चने में 23 फीसद प्रोटीन होता है। रागी में भी भरपूर कैल्शियम होता है।