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पति की लंबी आयु को आज सुहागिनें रखेंगी व्रत

महिलाओं के सबसे बड़े त्योहार करवाचौथ को लेकर बाजार गुलजार हो गए हैं। 24 अक्टूबर को करवाचौथ का व्रत है। चंद्रोदय का समय रात्रि 8 बजकर 10 मिनट का है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 04:56 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 04:56 PM (IST)
पति की लंबी आयु को आज सुहागिनें रखेंगी व्रत
पति की लंबी आयु को आज सुहागिनें रखेंगी व्रत

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : महिलाओं के सबसे बड़े त्योहार करवाचौथ को लेकर बाजार गुलजार हो गए हैं। 24 अक्टूबर को करवाचौथ का व्रत है। चंद्रोदय का समय रात्रि 8 बजकर 10 मिनट का है। इस पावन व्रत पर पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं दिनभर निराहार रहकर व्रत करती हैं तथा रात्रि को चंद्रमा देखकर ही व्रत खोलती है। शनिवार को बाजारों में महिलाओं की भारी भीड़ रही।

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ब्यूटी पार्लर में रही सुबह से भीड़

करवाचौथ के दिन महिलाएं खूब सजती संवरती हैं। शनिवार को ब्यूटी पार्लरों में सुबह से ही भारी भीड़ रही। महिलाओं ने फेशियल कराने के साथ ही विभिन्न सौंदर्य पैकेज भी लिए। इसके अतिरिक्त हाथों में मेहंदी भी लगवाई। ब्यूटी पार्लरों में भी महिलाओं के लिए 200 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक के पैकेज थे। हाथों में मेहंदी भी विभिन्न डिजाइन की लगवाई गई। बाजारों में भी महिलाएं साज, श्रृंगार के सामान खरीदने में व्यस्त रही। करवों की हुई खूब बिक्री

करवाचौथ के अवसर पर करवों में चूरमा भरकर पूजा करने की विशेष परंपरा है। बाजारों में मीठे करवों के साथ ही मिट्टी के करवों की खूब बिक्री हुई। बीस से पच्चीस रुपये का एक मीठा करवा बेचा गया। इसके अतिरिक्त बहुत सी महिलाएं छलनी में से भी चांद और पति का दीदार करती है। विभिन्न डिजाइन की छलनी की भी खूब बिक्री हुई। व्यापार में आई तेजी

करवाचौथ त्योहार से ही बाजारों में भीड़ बढ़ जाती है। बड़ी तादाद में महिलाएं खरीददरी कर रही हैं। नए कपड़ों के साथ ही आभूषण की सबसे ज्यादा खरीदारी हो रही है। कोरोना के कारण बाजार में जो सुस्ती आई थी वह अब पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। व्यापारियों के चेहरे पर भी रौनक लौटी है। दिवाली के आसपास बाजार के और भी उठने की उम्मीद है। सूर्योदय के साथ आरंभ हो जाएगा व्रत:

पंडित श्रीनिवास शास्त्री के अनुसार करवाचौथ का व्रत सूर्योदय के साथ ही आरंभ हो जाएगा। यह रात को चंद्रमा उदय के साथ पूरा होगा। करवाचौथ के पश्चात 28 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का व्रत है। संतान की सुख समृद्धि के लिए यह व्रत रखा जाता है। पंच पर्व का आरंभ 2 नवंबर से हो जाएगा। चार नवंबर को दिवाली और 6 नवंबर को भाईदूज का त्योहार है। देवउठनी एकादशी 14 नवंबर को है। यह पहला अबूझ सावा है।


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