जश्न मनाने नहीं सेवा करने का है यह समय
जब एक ओर वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का प्रकोप हो और एक चिकित्सक अपनी जिम्मेदारी से कैसे दूर हो सकता है। ऐसा ही जज्बा लिए गांव बेरलीकलां निवासी डॉ. मोहित ने जिम्मेदार नागरिक का परिचय दिया। उन्हें शनिवार को सरकार की ओर से नियुक्ति पत्र मिला तो रविवार को अवकाश के दिन ही अपनी सेवाएं आरंभ कर दी।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का प्रकोप हो तो एक चिकित्सक अपनी जिम्मेदारी से कैसे दूर हो सकता है। ऐसा ही जज्बा लिए गांव बेरलीकलां निवासी डॉ. मोहित ने जिम्मेदार नागरिक का परिचय दिया। उन्हें शनिवार को सरकार की ओर से नियुक्ति पत्र मिला तो रविवार को अवकाश के दिन ही अपनी सेवाएं आरंभ कर दी। चिकित्सक डॉ. मोहित को ज्वाइनिग लैटर मिलने का इंतजार था। जैसे ही उन्हें शनिवार शाम को नियुक्ति पत्र मिला, वे पार्टी या जश्न मनाने के बजाय रविवार को ही अपने काम में जुट गए। उन्होंने रविवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बावल में सेवाएं आरंभ कर दी। डॉ. मोहित कहते हैं कि इस विषम परिस्थिति में उनका दिल न्हें चैन से बैठने की अनुमति नहीं दे रहा था। वर्ष 2017 में अमृतसर राजकीय मेडिकल कॉलेज से पासआउट डॉ. मोहित ने दो साल तक मेवात स्थित मेडिकल कॉलेज में जूनियर रेजिडेंट चिकित्सक के रूप में सेवाएं दीं। उनका लक्ष्य सरकारी सेवाओं में अपना योगदान देना था। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि चिकित्सा क्षेत्रों से रही है। तीन चाचा, फूफा, ताऊजी के लड़के चिकित्सक होने के कारण उन्होंने भी जीवन में चिकित्सक बनने का लक्ष्य निर्धारित किया था। वे कहते हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस में चिकित्सकों की भूमिका अहम हो जाती है। इसलिए उन्होंने नियुक्ति पत्र मिलते ही जश्न मनाने के बजाय सीधे काम पर जाने का निर्णय लिया। इससे उन्हें अपने वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ काम करने का अवसर मिलेगा।