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इधर 'छोटे स्वामीनाथन' की सेंध, उधर बड़े राव का जलवा

आज सबसे अधिक चर्चा किस बात की हो रही है ताऊ..सवाल पूछते ही ताऊ नै ठेठ देसी मैं जवाब ठोक दिया। अरै या बात बी पूछण की है के भाई। आज तो बड़े राव झाझर मैं जलवा दिखाण जा रह्या है भाई। इतने पर ही ताऊ चुप नहीं हुए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 08:27 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 08:27 PM (IST)
इधर 'छोटे स्वामीनाथन' की सेंध, उधर बड़े राव का जलवा
इधर 'छोटे स्वामीनाथन' की सेंध, उधर बड़े राव का जलवा

आज सबसे अधिक चर्चा किस बात की हो रही है ताऊ.. सवाल पूछते ही ताऊ नै ठेठ देसी मैं जवाब ठोक दिया। अरै या बात बी पूछण की है के भाई। आज तो बड़े राव झाझर मैं जलवा दिखाण जा रह्या है भाई। इतने पर ही ताऊ चुप नहीं हुए। बात आगे बढ़ाते हुए बोले, 'अर भाई यो 'छोटो स्वामीनाथन' बण्यौ फिरै है ना, वो आजकल झाझर नै छोड़कै उरै सेंध लगावतो डोलै है।' ताऊ की बात समझने वाले समझ गए कि क्यों छोटा स्वामीनाथन अहीरवाल में घूम रहा है और क्यों बड़ा राव जाटलैंड में जलवा दिखाने जा रहा है। कौन नहीं जानता कि अगर छोटा स्वामीनाथन पिछली बार की तरह बड़ी पंचायत में उतरा तो बिना एका कौशल नगरी में भी राव ऐसा जलवा दिखा सकता है, जो छोटे स्वामीनाथन को भारी पड़ सकता है। जोगिया की नेक सलाह मानो तो साहबजादे से याराना कर लो। लाभ का सौदा है, लेकिन काम कुछ टेढ़ा लग रहा है। अब ऐसे में आप अगर टेढ़ी ऊंगली का फार्मूला तलाश रहे हों तो बुरा भी नहीं है छोटे स्वामीनाथन।

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आते ही एक्शन मोड में बड़े साहब

बात रेवत नगरी के बड़े साहब की। कड़क मिजाज साहब के जाने के बाद लग रहा था कि रेवत नगरी को बड़ा नुकसान होगा, लेकिन कड़क मिजाज साहब की जगह नए आए बड़े साहब भी काम करने में उतने ही कड़क हैं। आते ही एक्शन मोड में दिख रहे हैं। ये जो रेवत नगरी की बदहाल की सूरत दिख रही थी, इसे आते ही दुरुस्त करना शुरू कर दिया है। सुना है सत्यमेव नगरी में रहते हुए ये साहब कई मामलों में अपना जलवा दिखा चुके हैं। रेवत नगरी में सबसे बड़ी समस्या है चौड़ी सड़कों का तंग होना। बड़े साहब ने इस बीमारी को दूर करने के लिए कड़वी दवाई देना शुरू कर दिया है। कहते हैं कड़वी दवा का असर मीठा होता है, लेकिन अगर इलाज बीच में छोड़ दिया जाए तो फिर बीमारी बढ़नी शुरू हो जाती है।

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फिर फुल फोर्म में है सुधारक

अपने सुधारक को कौन नहीं जानता। जब-तब मोर्चा संभाल ही लेते हैं। बात बिजली की आई तो राजधानी के दरबार में सबसे पहले मोर्चा खोल दिया। साफ कहा कि अगर बिजली नहीं आई तो हमारी राहों में अंधेरा हो जाएगा। बस फिर क्या था। कइयों की आंखों के आगे अंधेरा छा गया। अंधेरा दूर करने के लिए फिर तो एक के बाद एक सुधारक के सुर में सुर मिलाने लग गए। नौबत यहां तक आई कि प्रदेश के मुखिया को मी¨टग से सीएमडी साहब को तलब करने के आदेश देने पड़े। अब सुधारक की बात का असर तो दिखने लगा है, लेकिन इस असर में कुछ राम (बरसात) की मेहरबानी है तो कुछ राज की। खैर, कारण कुछ भी हो, लेकिन सुधारक के कड़े तेवर के बाद करंट मारने वाले नरम पड़े हैं।

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प्रचार में तो कमी नहीं

कमलदल वाले बड़े पदाधिकारी लंबे समय से बूथ मैनेजमेंट का पाठ पढ़ाते रहे हैं। अब पता नहीं बूथ मैनेजमेंट हो रहा है या नहीं, लेकिन प्रचार तो खूब हो रहा है। कहीं सेक्टर तीन वाले डाक्टर साहब झंडा बैनर लेकर प्रचार सामग्री वितरित कर रहे हैं तो कहीं दिल्ली रोड़ पर किताब पढ़ाने वाले युवा नेता सामग्री वितरित कर रहे हैं। कहीं पर अनाज मंडी वाले व्यवसायी अपने बास के साथ कमल के लिए मंगल कामना कर रहे हैं तो कहीं सुधारक का परिवार सुधार करने में जुटा हुआ है। कई अन्य कमलदल वाले भी इस काम में लगे हुए हैं। इन सबसे गढ़ी बोलनी रोड़ वाले पंडित जी खुश हैं, क्योंकि उनका रिपोर्ट कार्ड तो मजबूत होता जा रहा है।

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कमल दल में होने लगी टिक-टिक

मैदान कब सजेगा? पहलवान कब अखाड़े में उतरेंगे? सटीक जवाब किसी के पास नहीं है। कोई बड़ी पंचायत के साथ ही छोटी पंचायत के चुनाव संभावित मानकर चल रहा है तो कोई पहले बड़ी पंचायत के फिर छोटी पंचायत के चुनाव होने की भविष्यवाणी कर रहा है, लेकिन हम यहां आज चुनावी भविष्यवाणी नहीं कर रहे हैं, बल्कि टिकट की टिक-टिक की बात कर रहे हैं। कमलदल में सूची सबसे लंबी है। कहीं साहबजादे की आरती की चर्चा है तो कहीं पर फिर से सुधारक के ही मैदान में आने की चर्चा है। कहीं पर कारगिल वाले परिवार की चर्चा है तो कहीं पर बादशाह नगरी के नरेश की। कहीं पर सेक्टर तीन वाले डॉक्टर साहब की चर्चा है तो कहीं पर मोती चौक के किताब वाले युवा नेता की। इसके अलावा नई एंट्री की चर्चाएं भी बंद नहीं हुई है। एक नेताजी और भी हैं, जिन्होंने पसीना बहाने में सबको पीछे छोड़ दिया है।


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